किसान आंदोलन: ईस बार राकेश टिकैत नहीं बल्कि ये चेहरे कर रहे किसान आंदोलन को लीड, जानें क्या ये राजनीतिक है ?

किसान आंदोलन: ईस बार राकेश टिकैत नहीं बल्कि ये चेहरे कर रहे किसान आंदोलन को लीड, जानें क्या ये राजनीतिक है ?
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किसान आंदोलन: ईस बार राकेश टिकैत नहीं बल्कि ये चेहरे कर रहे किसान आंदोलन को लीड, जानें क्या ये राजनीतिक है ?

Khet Khajana: New Delhi, किसान आंदोलन एक ऐसा आंदोलन है जिसमें देश के कई राज्यों के किसान अपने हकों के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। इस आंदोलन का मुख्य कारण है केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीन कृषि कानून, जिनको किसान अपने खिलाफ मानते हैं। किसानों का कहना है कि इन कानूनों से उनकी आय पर असर पड़ेगा और वो बाजार के भावों पर निर्भर हो जाएंगे। किसानों ने इन कानूनों को वापस लेने की मांग की है और इसके लिए वो दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं।

इस आंदोलन का नेतृत्व पहले राकेश टिकैत ने किया था, जो भारतीय किसान यूनियन के नेता हैं। लेकिन इस बार दो नए चेहरे इस आंदोलन को लीड कर रहे हैं। इनमें से एक हैं सरवन सिंह पंढेर और दूसरा हैं जगजीत सिंह डल्लेवाल। इन दोनों का परिचय आइए आपको कराते हैं।

सरवन सिंह पंढेर

सरवन सिंह पंढेर पंजाब के अमृतसर जिले के गांव पंधेर के रहने वाले हैं। वह दसवीं तक पढ़े हैं। उनकी उम्र 45 साल है। वो हमेशा से किसान हितों के लिए बढ़चढ कर बोलते हैं। वो अकाली दल के नेता विक्रम मजीठिया के करीबी माने जाते हैं। पंधेर छात्र जीवन से ही आंदोलनों में शामिल रहे हैं। पंढेर के पास करीब सवा दो एकड़ जमीन है।

सरवन सिंह पंढेर इस समय किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव हैं। यह एक ऐसा संगठन है जो किसानों और मजदूरों की आवाज उठाता है। इस संगठन ने 2007 में किसान संघर्ष कमेटी से अलग होकर अपना गठन किया था। इस संगठन का नेतृत्व सतनाम सिंह पन्नू ने किया था।

सरवन सिंह पंढेर ने 2020 में हुए किसान आंदोलन में भी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने किसानों को दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया था। उन पर दिल्ली में हिंसा भड़काने का आरोप भी लगा था। उन्होंने सरकार से बातचीत में शामिल किसानों की कमेटी में भी अपनी जगह बनाई थी।

जगजीत सिंह डल्लेवाल

जगजीत सिंह डल्लेवाल भी पंजाब के ही एक किसान नेता हैं। वो पहले संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा थे। लेकिन बाद में उन्होंने बलबीर सिंह राजेवाल के साथ मिलकर चार अलग संगठन बना लिए। उनके नेतृत्व में कृषि संगठन बीकेयू (एकता सिद्धूपुर) ने छोटे समूहों को साथ लिया और एक समानांतर संगठन एसकेएम (गैर-राजनीतिक) का गठन किया।

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