किसानों को केंद्र का बड़ा झटका: धान और बाजरे की सरकारी खरीद में देरी का कारण

किसानों को केंद्र का बड़ा झटका: धान और बाजरे की सरकारी खरीद में देरी का कारण
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किसानों को केंद्र का बड़ा झटका: धान और बाजरे की सरकारी खरीद में देरी का कारण

खेत खजाना:किसानों के लिए एक बड़ी खबर आई है, क्योंकि इस बार धान और बाजरे की सरकारी खरीद में देरी हो रही है। इस दुखद खबर का सबसे बड़ा कारण है केंद्र सरकार की तरफ से आई मंजूरी में हुई देरी। इसके परिणामस्वरूप, हरियाणा के किसान अपने धान और बाजरे को सरकार से अब तक नहीं बेच सके हैं। इस लेख में, हम जानेंगे कि इस देरी के पीछे क्या कारण है और किस प्रकार यह किसानों को प्रभावित कर सकता है।

क्यों हुई सरकारी खरीद में देरी?

हरियाणा के कृषि मंत्री, श्री जेपी दलाल, ने बताया कि हरियाणा सरकार ने इस बार धान और बाजरे की जल्द खरीद शुरू करने के लिए केंद्र सरकार से पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। यह मंजूरी की देरी के पीछे का मुख्य कारण है। इसके परिणामस्वरूप, धान और बाजरे की सरकारी खरीद 25 सितंबर को शुरू हो रही है, जबकि आमतौर पर यह 1 अक्टूबर को शुरू होती है।

कृषि मंत्री ने इसके साथ ही बताया कि पिछले साल के मुकाबले इस बार धान और बाजरे की आवक में भी कमी हो गई है। पिछले साल इस समय तक 20 लाख क्विंटल बाजरा मंडियों में पहुंच गया था, लेकिन इस बार केवल 3 लाख क्विंटल ही आया है। यह किसानों के लिए एक बड़ी समस्या हो सकती है, क्योंकि यह सरकारी खरीद में देरी के कारण किसानों की आय में भी कमी का कारण बन सकती है।

सरकार की तरफ से क्या है प्लान?

कृषि मंत्री ने बताया कि हरियाणा सरकार ने सरकारी खरीद को जल्दी चालू करने की कोशिश की है। इसके लिए हरियाणा सरकार ने हैरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव फेडरेशन लिमिटेड (हैफेड) को बोली लगाई है। मंडियों में पूरी तैयारी हो चुकी है, और हरियाणा सरकार 250,000 मीट्रिक टन बाजरा खरीदेगी। कीमत का औसत निकाला जाएगा और मूल्य अंतर के तहत 2500 रुपए से कम कीमत किसानों को दी जाएगी।


इस देरी के चलते, हरियाणा के किसानों को सरकारी खरीद में कुछ समय और इंतजार करना पड़ रहा है। इसके परिणामस्वरूप, वे अपने धान और बाजरे को अब तक नहीं बेच पा रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति पर दबाव पड़ सकता है। हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में यह कदम उठाया है, और उम्मीद है कि सरकार जल्द ही सरकारी खरीद को शुरू करेगी ताकि किसानों को उनकी पूरी मूल्य मिल सके।

धान और बाजरे के किसानों के लिए यह समय मुश्किल हो सकता है, लेकिन उन्हें सरकार का समर्थन और अपने फसलों की बेहतर मार्केटिंग के लिए नवाचारिक तरीकों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता है।

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