खेतों में धान की फसल को बचाने के उपाय - सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस से छुटकारा पाएं

धान की ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस: फसल बचाने के उपाय

खेतों में धान की फसल को बचाने के उपाय - सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस से छुटकारा पाएं
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धान की फसल और खतरनाक ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस

साल 2022 में सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस के कारण धान की फसल में बड़ा नुकसान हुआ था। यह वायरस धान के पौधों को बौना बना देता है और फसल के उत्पादन पर असर डालता है। यह रोग धान के पौधों में पीलापन का कारण बनता है, जिसके परिणामस्वरूप फसल की मात्रा में भी कमी होती है।

वायरस के पहचान और प्रभाव

सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस का पहला पौधों में ही पता चलता है। इसका असर आमतौर पर 25 से 30 दिन की फसल में ज्यादा होता है, जिसका पता जुलाई महीने में लगता है। अगर आपके पौधे पीले पड़ने लगे हैं, तो आपकी फसल किसी खतरनाक बीमारी का शिकार हो सकती है।

फसल की बचाव उपाय

इस खतरनाक वायरस से अपनी फसल को बचाने के लिए निम्नलिखित उपायों का पालन करें:

समय पर पहचान: अपने खेतों में धान के पौधों के उपर पीलापन दिखाई देते ही उन्हें तुरंत हटा दें।

निराई गुड़ाई: धान की फसल को लगाने के बाद भी, पौधों को ऑक्सीजन की पर्याप्तता के लिए निराई गुड़ाई जारी रखें।

बुआई की सावधानी: धान की बुआई करने से पहले फसल की पूरी जानकारी प्राप्त करें और समय पर बुआई करें।

उर्वरक का सही प्रयोग: फसल में यूरिया डीएपी या जीवामृत का छिड़काव करें, लेकिन अत्यधिक रासायनिक उर्वरकों से बचें।

बीमार पौधों की हटाई: फसल में 5 से 20 फीसदी पीले पौधे हो तो उन्हें तुरंत हटा दें और उनकी जगह नए पौधे लगाएं।

निष्कर्ष

सदर्न राइस ब्लैक-स्ट्रीक्ड ड्वार्फ वायरस की वजह से होने वाले नुकसान से बचने के लिए खेतीबाड़ी उपायों का पालन करना आवश्यक है। सही समय पर पहचान, उपयुक्त उर्वरक का प्रयोग, और सावधान बुआई के साथ-साथ निष्कर्षपूर्ण फसल की पूर्ति के लिए उपयुक्त होते हैं।

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