धान की पत्तियों को चट कर रही है सुंडी, या पत्ता लपेटक रोग के कारण बढ़ नहीं रहे पौधे, तो अपनाये ये देसी इलाज

धान, भारतीय कृषि की मुख्य फसलों में से एक है, लेकिन कई बार पत्ता लपेट सुंडी जैसी कीटों का सामना करना पड़ता है।

धान की पत्तियों को चट कर रही है सुंडी, या पत्ता लपेटक रोग के कारण बढ़ नहीं रहे पौधे, तो अपनाये ये देसी इलाज
X


धान की पत्तियों को चट कर रही है सुंडी, या पत्ता लपेटक रोग के कारण बढ़ नहीं रहे पौधे, तो अपनाये ये देसी इलाज

धान, भारतीय कृषि की मुख्य फसलों में से एक है, लेकिन कई बार पत्ता लपेट सुंडी जैसी कीटों का सामना करना पड़ता है। इसके खिलाफ निम्नलिखित तरीकों का प्रयोग करके किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं:

1. पत्ता लपेट सुंडी को हटाने का तरीका

पत्ता लपेट सुंडी की विशेषता है कि वह पत्ती को मोड़कर उसके अंदर बैठ जाती है और फिर हरे भाग को खाती रहती है। इसके बजाय जादा दवाओं का उपयोग करने की बजाय, आप एक 10-12 मीटर लम्बी रस्सी का उपयोग करके इसको दूर कर सकते हैं। दो लोग रस्सी को पकड़कर धान के खेत में खींचते चले जाएं, जिससे पत्ता लपेट सुंडी पानी में गिर जाएगी और फिर उसे फिर से उपर नहीं आने का खतरा होगा।

2. पठेरा कीटनाशक का प्रयोग

पठेरा कीटनाशक एक प्रभावी तरीका हो सकता है जो पत्ता लपेट सुंडी को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। इसका इस्तेमाल करने से आपकी फसल पर कीटों का प्रभाव कम हो सकता है और यह तरीका पर्याप्त रहता है क्योंकि यह पर्याप्त मात्रा में पैदा नहीं करता है।

3. मिथाइल पैराथिन और मोनोक्रोटोफास का उपयोग

आपके पास यह विकल्प भी है कि आप मिथाइल पैराथिन और मोनोक्रोटोफास को उपयोग करके पत्ता लपेट सुंडी को नियंत्रित कर सकते हैं। 10 किलोग्राम मिथाइल पैराथिन 2 प्रतिशत प्रति एकड़ की व्यवस्था करें और 200 मिली मोनोक्रोटोफास 36 एसएल 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फसल के हिसाब से छिड़काव करें।

आपकी फसल की सुरक्षा है हमारी प्राथमिकता

पत्ता लपेट सुंडी जैसी कीटों से बचाव के लिए उपरोक्त तरीकों का पालन करके, आप अपनी धान की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आप अच्छे खेती प्रथाओं का पालन करें और सही समय पर कीटनाशकों का उपयोग करें।

ध्यान दें: ऊपर दिए गए तरीके केवल सामान्य मार्गदर्शन के लिए हैं। कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेना हमेशा अच्छा होता है, क्योंकि फसल की स्थिति और प्रकृति के आधार पर यह तरीके विविधता प्रदान कर सकते हैं।

Tags:
Next Story
Share it