आमा हल्दी की बजाय करें नीली हल्दी की खेती, मसालों में सबसे ज्यादा रहती है डिमांड, 1 एकड़ में 12 से 15 क्विंटल तक होगा मुनाफा

ये हल्दी सूखने के बाद ये काला रंग ले लेती है जिस कारण इसे काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता है।

आमा हल्दी की बजाय करें नीली हल्दी की खेती, मसालों में सबसे ज्यादा रहती है डिमांड, 1 एकड़ में 12 से 15 क्विंटल तक होगा मुनाफा
X

खेतखाजाना

आमा हल्दी की बजाय करें नीली हल्दी की खेती, मसालों में सबसे ज्यादा रहती है डिमांड, 1 एकड़ में 12 से 15 क्विंटल तक होगा मुनाफा

आमा हल्दी के बारे में तो सभी ने सुना होगा. हमारी रसोई में पीली हल्दी यानी आमा हल्दी का यूज़ प्रतिदिन होता है इसके बिना सब्जी का स्वाद बिगड़ जाता है. सिर्फ खाना ही नहीं हल्दी का उपयोग सौंदर्य प्रोडक्ट दवाइयों और अन्य सामग्री बनाने के लिए किया जाता है हल्दी शुद्धता का प्रतीक है लेकिन क्या आप जानते हैं कि आमा हल्दी के साथ-साथ नीली हल्दी जिसकी मार्केट में काफी डिमांड रहती है की खेती करना फायदे का सौदा साबित हो सकता है क्योंकि बाजार में यह काफी ऊंचे दामों पर दिखती है।





हल्दी एक कन्द है। गुणों की खान है। पीली के अलावा काली हल्दी भी होती है। भोजन के तकरीबन हर व्यंजन का ज़रूरी मसाला है हल्दी। अपने औषधीय गुणों की वजह से दवाईयों और शृंगार सामग्रियों में हल्दी खूब इस्तेमाल होती है। धार्मिक रिवाज़ों में हल्दी का ख़ास स्थान है। औषधीय गुणों के लिहाज़ से काली हल्दी को उत्तम मानते हैं। ये नकदी फसल भी है क्योंकि हल्दी को बाज़ार में बेचना आसान है।

कैसे करे खेती

इसकी खेती के लिए कई चीजों का बहुत ध्यान रखना होता है। ये हल्दी सूखने के बाद कला रंग ले लेती है जिस कारण इसे काली हल्दी के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त भुरभुरी दोमट मिट्टी होती है। इसके खेत में पानी का बिलकुल उपयोग नहीं होता। क्योंकि अगर इसके खेत में पानी लगा तो यह पीली हल्दी से भी तेजी से सड़ती है। इसलिए नीली हल्दी की खेती ज्यादातर लोग ढलान वाले खेतों में करते हैं, ताकि वहां पानी न रुक सके और खेती को कोई नुकसान न हो। जिससे किसान का मुनाफा डबल हो जाता है।

महंगी बिकती है ये हल्दी

ये हल्दी किसानों का मुनाफा बढ़ाने में सहायक होती है। किसानों को इस हल्दी से दो तरह से मुनाफा होता है ,पहला तो बाजार में इसकी कीमत ज्यादा मिलती है और दूसरा ये कि ये हल्दी पीली हल्दी के मुकाबले कम जमीन में ज्यादा उपज देती है। जिससे कम मेहनत में ज्यादा उपज पैदा होती है। इसकी कीमत हमेशा बाजार में 500 रुपये से 4000 रुपये किलो तक बनी रहती है। इसकी सबसे ज्यादा डिमांड विदेशों में की जाती है।

Tags:
Next Story
Share it