सितंबर और अक्टूबर माह में करें जुकीनी की खेती, होगा लाखों का मुनाफा, करें इन किस्म का चुनाव

कृषि उत्पादन में नवाचार का समय आ गया है, और उन्नत तकनीकों द्वारा बेमौसमी सब्जियों की खेती एक नया माध्यम है। इसी दिशा में, चप्पन कद्दू की बेमौसमी खेती भी किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो रही है

सितंबर और अक्टूबर माह में करें जुकीनी की खेती, होगा लाखों का मुनाफा, करें इन किस्म का चुनाव
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सितंबर और अक्टूबर माह में करें जुकीनी की खेती, होगा लाखों का मुनाफा, करें इन किस्म का चुनाव

कृषि उत्पादन में नवाचार का समय आ गया है, और उन्नत तकनीकों द्वारा बेमौसमी सब्जियों की खेती एक नया माध्यम है। इसी दिशा में, चप्पन कद्दू की बेमौसमी खेती भी किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो रही है। इस लेख में, हम चप्पन कद्दू की उन्नत प्रजातियों और खेती के बारे में जानेंगे।

चप्पन कद्दू: विशेषताएँ और उन्नत प्रजातियाँ

आस्ट्रेलियन ग्रीन: यह कद्दू अगेती है और इसके फल लंबे और हरी-सफेद धारियों वाले होते हैं। इसका उचित समय मार्च से अप्रैल होता है और इसकी उपज 300 कुण्डल प्रति हेक्टेयर होती है।

पूसा अंलकार: इस प्रजाति के फल हल्के रंग की धारियों के साथ गहरे हरे रंग के होते हैं। इसकी उपज 350 कुण्डल प्रति हेक्टेयर होती है।

बुआई का समय और तरीके

चप्पन कद्दू को पॉलीहाउस में तीन बार उगाने का विकल्प होता है:

पहली फसल: जनवरी से अप्रैल में बोने जा सकते हैं।

दूसरी फसल: अप्रैल से अगस्त तक बोने जा सकते हैं।

तीसरी फसल: सितंबर से दिसंबर तक बोने जा सकते हैं।

बुआई के लिए दो तरीके होते हैं:

सीधी बुआई: बीजों को उचित दूरी पर बने थालों में बोना जा सकता है।

पौधों का रोपण: पौधों को नर्सरी से तैयार करके बोना जा सकता है।

उपज और उपाय

चप्पन कद्दू की सामान्य किस्मों से प्राप्त उपज 150-200 कुण्डल प्रति हेक्टेयर हो सकती है, जबकि संकर किस्मों से 250-300 कुण्डल प्रति हेक्टेयर की उपज संभावित है।

चप्पन कद्दू की उन्नत प्रजातियों की खेती करके किसान भाइयों को उच्च उपज और गुणवत्ता दोनों की प्राप्ति संभावित है। उन्नत तकनीकों और विज्ञानिक तरीकों का प्रयोग करके चप्पन कद्दू की बेमौसमी खेती से किसान अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।

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