किसानों को मालामाल कर देगी इस सब्जी की खेती! जानिए बुवाई करने का सही तरीका

किसानों को मालामाल कर देगी इस सब्जी की खेती! जानिए बुवाई करने का सही तरीका
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Zucchini Farming: औषधीय फसलों के साथ सब्जी की खेती किसानों के लिए एक अच्छा आय स्रोत बन रहा है। जुकिनी (Zucchini Farming) एक ऐसी सब्जी है जो फाइबर और न्यूट्रिशंस से भरी होती है, और इसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। जुकिनी एक तरह की तोरी की तुलना में है, लेकिन इसका रंग, आकार, और बाहरी छिलका कद्दू की तरह होता है।

इसका रंग आमतौर पर हरा और पीला होता है। जुकिनी को तोरी, तुरई, और नेनुआ जैसे नामों से भी जाना जाता है और इसे सब्जी और सलाद में उपयोग किया जाता है। किसानों के लिए इसकी खेती फायदेमंद साबित हो सकती है।

विटामिन से भरपूर

जुकिनी विदेशों में उगाई जाने वाली कद्दू वर्गीय फसल है. जुकिनी सब्जी व सलाद में काम आता है. ब्रोकली की तरह जुकिनी (Zucchini Farming) भी कैंसर अवरोधी है. यहां तक कि इसमें पोटेशियम के साथ-साथ विटामिन- A और विटामिन- C जैसे पोषक तत्व से भरपूर है. शुगर और पेट की रोगी के लिए यह सुपाच्य दवा के रूप में कारगर होता है. उन्होंने बताया कि जुकिकी की सब्जी बनाने के बाद फ्रीज में नहीं रखना चाहिए, इससे पौष्टिकता नष्ट हो जाती है.

साल में तीन बार की जा सकती है खेती

जुकिनी (Zucchini Farming) फसल की खेती साल में तीन बार की जा सकती है. अक्टूबर से फरवरी तक पहली, फरवरी से अप्रैल दूसरी और अप्रैल से अगस्त तक तीसरी फसल उगायी जा सकती है.

बुवाई और मिट्टी

जुकिनी की बेहतर उत्पादन के लिए बलुई दोमट मिट्टी व जल प्रबंधन जरूरी है. फसल की बुवाई से पहले जुकिनी की बीज को कार्बोडाइजम, ट्राइकोडरमा व थिरम केमिकल दवा से बीज का उपचार किया जाना चाहिए. पौधा लतरनुमा होता है. इसके फूल पीले व फल लाल कत्था और हरा होता है. जुकिनी की रोपनी बीज के माध्यम से की जाती है. एक बीघा जमीन से 1600 से 1800 तक बीज लगाया जा सकता है. इस क्षेत्र में लोग जुकिनी को चुकिनी के नाम से भी जानते हैं.

खाद व दवाई की कोई खास खर्च नहीं है. प्रति बीघा कट्ठा एक किलो यूरिया व एक किलो डीएपी के साथ जैविक खाद का उपयोग करना पड़ता है. अधिक ठंड व कुहासा पड़ने पर उपज प्रभावित होती है. हालांकि, वन प्राणी नीलगाय से नुकसान नहीं होता है.

बिहार सरकार के उद्यान विभाग फल-फूल व सब्जी की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षित करा रही है. इसके साथ ही अनुदान का भी प्रावधान है. 20,000 हजार रुपये की लागत से एक बिगहा जमीन में 1.50 लाख रुपये तक आमदनी की जा सकती है.

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