पराली से खाद बनाने के लिए 5 लाख एकड़ में होगा डी-कंपोजर का छिड़काव- खेत खजाना

बजट बढ़ा, 5 गुना ज्यादा दी जाएंगी बेलर मशीनें

पराली से खाद बनाने के लिए 5 लाख एकड़ में होगा डी-कंपोजर का छिड़काव-  खेत खजाना
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खेत खजाना चंडीगढ़। पराली जलाने पर रोक और इसके प्रबंधन के लिए सरकार ने कमर कस ली है। पराली की गांठे बनाने के लिए इस बार कृषि विभाग पिछले साल के मुकाबले पांच गुना बेलर मशीनें अनुदान पर देगा। धान की कटाई के बाद इस मशीन की सबसे ज्यादा मांग रहती है। वहीं, लाख एकड़ में किया जाएगा। यह पराली से खाद बनाने के लिए पूसा डी-कंपोजर का छिड़काव इस बार ढाई लाख एकड़ के बजाय पांच कंपोजर विभाग द्वारा किसानों को निशुल्क दिया जाता है।

सरकार ने इस बार बजट भी बढ़ाया है। पराली न जलाकर पराली का प्रबंधन करने पर किसानों को प्रति एकड़ एक हजार रुपये दिए जाते हैं। पिछली बार सरकार ने 70 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इस बार जरूरत पड़ी तो बजट बढ़ाया जा सकता है। पिछले साल पराली जलाने के मामले 2021 के मुकाबले आधे से भी कम थे। इस साल इसे और नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है।

3661 जगहों पर जली थी पिछले साल पराली

प्रदेश में पिछले साल 3661 जगहों पर पराली जलाने के मामले सामने आए थे। बेलर मशीनें दी गई थीं। इस बार पराली से और पराली की गांठ बनाने वाली 450 बिजली व अन्य उत्पाद बनाने के कई जगह प्लांट लग गए हैं तो बेलर की संख्या विभाग ने बढ़ाकर इस बार 2200 से अधिक की है। बेलर सहित सुपर सीडर, जीरो टीलेज व बेलर स्ट्रा के अलावा नी प्रकार की मशीनों पर विभाग द्वारा 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। इस बार 7500 मशीनें अनुदान पर दी जाएंगी।

किसानों को पराली न जलाने व प्रोत्साहन करने योजनाएं चलाई हैं। क्योंकि पराली इस के लिए सरकार ने कई समय वेस्ट नहीं वेल्थ है। किसानों से अपील है कि वे पराली न जलाएं। नरहरि सिंह बांगड़, निदेशक, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग।

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