धान की फसल से छुटकारा पाने के लिए देसी तरीके: पाटा लगाने का नया और कारगर उपाय"

धान की फसल से छुटकारा पाने के लिए देसी तरीके: पाटा लगाने का नया और कारगर उपाय
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खरीफ की फसलों का मौसम चल रहा है और धान के पौधे खेतों में खूबसूरती बिखर रहे हैं। हालांकि, बारिश की अधिकता के कारण धान की फसल पर कीटों का प्रकोप बढ़ गया है। इस समस्या का समाधान खेती में देसी तरीकों का उपयोग करके किया जा सकता है। इस लेख में, हम आपको एक ऐसे देसी तरीके के बारे में बताएंगे जिससे आप बिना किसी खर्च के धान की फसल पर लगने वाले कीटों से छुटकारा पा सकते हैं।

धान की फसल पर लकड़ी का पाटा जरूर लगाएं:

धान की फसल में लकड़ी के पाटे का प्रयोग करने से आपको अद्भुत परिणाम मिल सकते हैं। इसके लिए, आपको धान की रोपाई के बाद 20 दिन तक एक लकड़ी का पाटा लगाना है। आपको बांस या उसके बराबर की लकड़ी चुननी होगी और उसे खेत में दो बार लगा देना है। इससे धान की जड़ों में थोड़ा झटका आएगा और छोटी फसलों को भी आगे बढ़ने का अवसर मिलेगा। पाटा लगाने के लिए खेत में पानी होना आवश्यक है।

फायदे:

इस देसी तरीके का बड़ा फायदा यह है कि धान की फसलों में लगने वाले कीटों को यह प्रभावित करता है। जब धान की पौधों पर यह पाटा लगता है, तो सुंडी और पत्ती लपेटकर जैसे कीड़े पानी में गिरकर मर जाते हैं। इससे फसल को नुकसान नहीं पहुंचता है। पाटा लगाते समय ध्यान देना आवश्यक है कि आप उसे उल्टी और सीधी दिशाओं में लगाएं, ताकि पौधों को कोई नुकसान न हो।

दुर्लभ पौधों का विकास:

इस तरीके से फसल में लकड़ी के पाटे का प्रयोग करने से फसल के पौधे तेजी से बढ़ते हैं। अगर आप इसे दो बार अपनी फसल पर लगाते हैं, तो कीटों का प्रकोप कम होता है और पौधों का स्वस्थ विकास होता है। जब पौधे तेजी से बढ़ते हैं, तो उनमें कीटनाशक की आवश्यकता भी कम होती है। यह आपकी खर्चों को कम करके आपकी फसल को ज्यादा उत्पादक बना सकता है।

इस देसी तरीके से आप बिना किसी अतिरिक्त खर्च के अपनी धान की फसल को कीटों से बचा सकते हैं। लकड़ी के पाटे का प्रयोग करके आप फसल के पौधों को तेजी से बढ़ने का मौका देते हैं और उत्पादन में वृद्धि करते हैं। यह आपके खेती को सुरक्षित और लाभकारी बना सकता है, विशेषकर गरीब किसानों के लिए।

सूचना:

यह देसी तरीका विशेषज्ञों द्वारा सुनिश्चित किया गया है और कई किसानों द्वारा सफलतापूर्वक प्रयोग किया गया है। हालांकि, आपके क्षेत्र में स्थानीय परिस्थितियों का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। नवीनतम अनुसंधान और सलाह से पूर्व इस तरीके का प्रयोग करने की सलाह दी जाती है।

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