गेहूं की कीमत में गिरावट के बावजूद, भारत गेहूं की आयात करेगा - जानिए क्यों?
मुंबई के एक डीलर के मुताबिक, भारत को रूस से 25 से 40 डॉलर प्रति टन का डिस्काउंट मिल सकता है।
गेहूं की महंगाई को कम करने के लिए भारत सोच रहा है गेहूं का आयात करने के बारे में। गेहूं की कीमतों में वृद्धि ने सरकार को इस कदम की ओर बढ़ने को मजबूर किया है, लेकिन इसमें क्या है खास? इस लेख में हम इस पर पूरी तरह से जोर देंगे।
गेहूं की मूल्यों में वृद्धि के बावजूद, भारत सरकार गेहूं की आयात के बारे में गंभीर रूप से सोच रहा है। इसके पीछे का कारण क्या है? यह आपको जानने के लिए यहाँ है:
गेहूं की महंगाई को रोकने का प्रयास
जुलाई में गेहूं की कीमतें 15 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थीं। इससे बढ़ती महंगाई के कारण सरकार को गेहूं की कीमतों को कम करने के लिए कदम उठाने की तैयारी करनी पड़ रही है। इसमें आयात का विचार भी है।
विधानसभा और आम चुनावों के सामने कदम
देश में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं और अगले साल आम चुनाव हैं। इससे पहले सरकार चुनावों के समय गेहूं की महंगाई पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है।
गेहूं की आयात की संभावना रूस से
सूत्रों के मुताबिक, सरकार गेहूं की सप्लाई बढ़ाने के लिए भारत रूस से डिस्काउंट पर आयात करने का विचार कर रही है। इससे गेहूं की कीमतों में कमी हो सकती है और गेहूं का सबसे अधिक उपयोग वाले अनाज में महंगाई की दर सुधर सकती है।
डिस्काउंट की मात्रा
मुंबई के एक डीलर के मुताबिक, भारत को रूस से 25 से 40 डॉलर प्रति टन का डिस्काउंट मिल सकता है। इससे गेहूं की कीमत स्थानीय बाजार में काफी कम होगी, जिससे गेहूं की कीमतें सामान्य नागरिकों के लिए भी अधिक सुलभ हो सकती हैं।
इसके अलावा, रूस के खाने-पीने के उत्पादों के निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं है, जिससे भारत को और भी लाभ हो सकता है।