ग्रेजुएशन के बाद नौकरी नहीं मिली, तो शुरू की ये खास खेती, सिर्फ 45 दिनों में फल तोड़कर बेचने पहुंचे बाजार, आज कमा रहे लाखों रुपए

उन्होंने हाजीपुर से बैंगन के बीज खरीदकर खेत में बोने तथा पूरी खेती की प्रक्रिया को ध्यान से अनुसरण किया।

ग्रेजुएशन के बाद नौकरी नहीं मिली, तो शुरू की ये खास खेती, सिर्फ 45 दिनों में फल तोड़कर  बेचने पहुंचे बाजार, आज कमा रहे लाखों रुपए
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ग्रेजुएशन के बाद नौकरी नहीं मिली, तो शुरू की ये खास खेती, सिर्फ 45 दिनों में फल तोड़कर बेचने पहुंचे बाजार, आज कमा रहे लाखों रुपए

भारतीय किसानों की उम्मीद और मेहनत का उत्कृष्ट उदाहरण है मनोरा गांव के किसान संजीत कुमार की कहानी, जिन्होंने गुलाब सागर सिलीगुड़ी ब्रांड के बैंगन की खेती से खुद को साबित किया। उनकी मेहनत, विश्वास, और कठिनाईयों का सामना करने की इच्छा ने उन्हें उनके मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद की। आइए, उनकी कहानी को जानते हैं:





आत्मनिर्भर बनने की उम्मीद

30 साल के संजीत कुमार ने ग्रेजुएशन की पढ़ाई के बाद नौकरी की तलाश में कई जगह इंटरव्यू दिया, परन्तु उनका प्रयास सफल नहीं हुआ। हालांकि नौकरी नहीं मिली, उन्होंने हार नहीं मानी और नये मार्ग की तलाश करने लगे।

खेती की दिशा में उत्कृष्ट विचार

संजीत ने खुद को खेती के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया और गुलाब सागर सिलीगुड़ी ब्रांड के बैंगन की खेती में कदम रखा। उन्होंने हाजीपुर से बैंगन के बीज खरीदकर खेत में बोने तथा पूरी खेती की प्रक्रिया को ध्यान से अनुसरण किया। संजीत ने बताया कि बैंगन के पौधे को विकसित होने में 30 दिन का समय लग जाता है. इसके बाद फिर हल्का पटवन और फिर दवा का स्प्रे किया जाता है. 45 दिन के बाद पौधे में फलन होने लगा और 90 दिन के बाद प्रति कट्ठा 50 किलो बैंगन का फलन होने लगा. वे बताते हैं कि एक कट्ठा की खेती पर लगभग ढाई हजार का खर्च आता है

मेहनत और धैर्य का परिणाम

बैंगन के पौधों की देखभाल में संजीत ने मेहनत और धैर्य का परिणाम दिखाया। वे पौधों की सही देखभाल, मिट्टी की तैयारी, और उनके विकास के लिए समय-समय पर खुदाई करते रहे।

सफलता का मिला फल

उनकी मेहनत और सही तकनीकों का परिणामस्वरूप गुलाब सागर सिलीगुड़ी ब्रांड के बैंगन की खेती से बहुत अच्छा मुनाफा होने लगा। इस खेती से उन्होंने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि उन्होंने आसपास के किसानों को भी प्रेरित किया।

उत्तरदायित्व और सामाजिक संबंध

संजीत कुमार ने यह साबित किया कि किसान न केवल खेती करने में ही व्यस्त होता है, बल्कि वह समाज के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए भी कई पहलू उठाए।

उनकी इस कड़ी में उनकी उम्मीद और मेहनत का परिणाम उन्हें अच्छे समय में लाया है और उन्होंने स्वयं को साबित किया है कि किसान भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

विशेषताएँ विवरण

आय प्रति कट्ठा लगभग ढाई हजार का खर्च आता है, पर बैंगन के प्रति कट्ठा में मुनाफा है।

पौधों का विकास बैंगन के पौधे विकसित होने में 30 दिन लगते हैं।

उपज प्रति कट्ठा 50 किलो बैंगन की उपज होती है।

खर्च और आय 50% इनकम खर्च होता है, लेकिन कम खर्च में ज्यादा मुनाफा होता है।

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