सबसे सूखा अगस्त: हरियाणा में बरसात की चुनौतियाँ और खेती के आंकड़े
आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ मौसम में खेती के क्षेत्र में भी बदलाव आया है। इस वर्ष धान, मक्का, ज्यार, बाजरा, खरीफ पल्सेस, खरीफ ऑयलसीड, अन्ना और कपास की बिजाई में वृद्धि दर्ज की गई है।
अगस्त में हुए अनियमित मौसम के बारे में जानकारी
इस वर्ष का अगस्त हरियाणा के लिए एक असामान्य महीना साबित हो रहा है। नौ सालों में सबसे सूखे अगस्त के बावजूद, इस बार उपर्युक्त समय की जानकारी के अनुसार, बरसात में असमान स्थितियाँ आई हैं। 10 जिलों में सामान्य बरसात होने के बावजूद, 6 जिलों में ज्यादा और 5 जिलों में कम बारिश की रिपोर्ट मिली है। इसके साथ ही, 27 दिनों से मानसून हरियाणा को छोड़कर चले गए हैं।
खेती की स्थिति और बदलते आंकड़े
आंकड़ों से पता चलता है कि खरीफ मौसम में खेती के क्षेत्र में भी बदलाव आया है। इस वर्ष धान, मक्का, ज्यार, बाजरा, खरीफ पल्सेस, खरीफ ऑयलसीड, अन्ना और कपास की बिजाई में वृद्धि दर्ज की गई है। धान की बिजाई में लक्ष्य का 126.67 फीसदी उत्तीर्ण किया गया है, मक्का की बिजाई में 15 फीसदी वृद्धि हुई है, ज्यार की बिजाई वर्ष 196 फीसदी बढ़ गई है और बाजरा की बिजाई में 86.10 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई है। खरीफ पल्सेस, खरीफ ऑयलसीड, अन्ना और कपास में भी बिजाई में वृद्धि का अनुभव किया गया है।
चुनौतियाँ और आगामी बदलाव
मानसून की स्थिति के चलते हरियाणा के किसानों को खेती में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। बाढ़ और भारी बरसात के कारण 6.87 लाख एकड़ में फसलों को नुकसान हो रहा है जिससे फसल उत्पादन में कमी की संभावना है। आगामी दिनों में सितंबर से मानसून की सक्रियता फिर से बढ़ सकती है, जिससे खेती को आराम मिल सकता है।
अगस्त महीने में हुए विपरीत मौसम के बावजूद, हरियाणा के किसान ने अपनी मेहनत और संघर्ष से खेती में वृद्धि दर्ज की है। बदलते मौसम की चुनौतियों का सामना करते हुए भी, उनका परिश्रम और आग्रह किसानों की आय और खेती में सुधार करने की दिशा में है।