बिना पानी के धान बुवाई की DSR तकनीक, सूखे में कर सकते हैं धान की बुवाई, उत्पादन पर नहीं पड़ेगा कोई असर, अगले वर्ष होगा अब से भी अधिक उत्पादन

डीएसआर तकनीक से पानी की बचत के साथ-साथ समय भी बचता है, क्योंकि इसमें पूर्व-अंकुरित बीजों की तैयारी की आवश्यकता नहीं होती।

बिना पानी के धान बुवाई की DSR तकनीक, सूखे में कर सकते हैं धान की बुवाई, उत्पादन पर नहीं पड़ेगा कोई असर, अगले वर्ष होगा अब से भी अधिक उत्पादन
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बिना पानी के धान बुवाई की DSR तकनीक, सूखे में कर सकते हैं धान की बुवाई, उत्पादन पर नहीं पड़ेगा कोई असर, अगले वर्ष होगा अब से भी अधिक उत्पादन

कृषि में पानी की गंभीर समस्या के मद्देनजर, DSR तकनीक (Direct Seeded Rice) एक लाभकरी तरीका है जो धान की बुआई में पानी की बचत करने में सहारा प्रदान करती है। इस तकनीक का उपयोग करके किसान न केवल पानी की खपत कम कर सकता है, बल्कि समय भी बचा सकता है और तब्दीली होने वाली जलवायु में भी अधिक निश्चित रहता है।

कैसे काम करती है DSR तकनीक

इस तकनीक में धान के बीजों को सीधे खेतों में बोया जाता है, जिससे सिंचाई की जरुरत कम होती है। यह परंपरागत बुआई के तकनीक के खिलाफ होता है, क्योंकि इसमें पूर्व-अंकुरित बीजों को बोने जाते हैं, जो सीधे पानी के संपर्क के साथ उगते हैं।

डीएसआर तकनीक के लाभ

पानी की बचत

इस तकनीक से किसान पानी की बचत कर सकता है, क्योंकि इसमें सीधे बीजों को बोने जाते हैं और सिंचाई की आवश्यकता कम होती है।

समय की बचत

डीएसआर तकनीक से पानी की बचत के साथ-साथ समय भी बचता है, क्योंकि इसमें पूर्व-अंकुरित बीजों की तैयारी की आवश्यकता नहीं होती।

ऊर्जा और श्रम की कमी

सीधी-सूखी बुआई में बीजों को बोने जाता है, जिससे श्रम और ऊर्जा की कमी होती है।

DSR तकनीक का इस्तेमाल कैसे करें

बीज का चयन

उच्च उत्पादकता देने वाले बीजों का चयन करें जो सीधे बोए जा सकते हैं।

सीधे बोई जाने वाले खेतों का चयन

डीएसआर तकनीक से बुआई करने के लिए सीधे बोई जाने वाले खेतों का चयन करें।

लेजर स्तरांतरीकरण

खेत को लेजर से समतल करने में मदद करें ताकि बुआई सही ढंग से हो सके। इस तकनीक से किसान अधिक उत्पादकता और आर्थिक लाभ प्राप्त कर सकता है, साथ ही पानी की सही तकनीक से बचत कर सकता है।

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