हरियाणा किसानों के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल: फसल खराबे का रजिस्ट्रेशन हुआ शुरू, मुआवजा लेने के लिए किसान समय रहते करें आवेदन

हरियाणा किसानों के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल: फसल खराबे का रजिस्ट्रेशन हुआ शुरू, मुआवजा लेने के लिए किसान समय रहते करें आवेदन
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हरियाणा किसानों के लिए ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल: फसल खराबे का रजिस्ट्रेशन हुआ शुरू, मुआवजा लेने के लिए किसान समय रहते करें आवेदन

खेत खजाना, चंडीगढ़, हरियाणा सरकार ने अपने राज्य के किसानों को फसल के नुकसान का मुआवजा देने के लिए एक नया पोर्टल शुरू किया है. इस पोर्टल का नाम है ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल. इस पोर्टल के माध्यम से किसान अपनी फसल की क्षति की जानकारी ऑनलाइन दे सकते हैं और अपने बैंक खाते में मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं. इस पोर्टल का उद्देश्य है कि किसानों को फसल के नुकसान की भरपाई करने में आसानी हो और वे अपनी फसल को बचाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल कर सकें.

इस पोर्टल का शुभारंभ 26 सितंबर 2022 को किया गया था. इस पोर्टल पर आवेदन करने की अंतिम तिथि 10 मार्च 2024 है. इस पोर्टल पर अभी सिर्फ अंबाला, पंचकूला और यमुनानगर के किसान आवेदन कर सकते हैं. इस पोर्टल के तहत किसानों को बारिश, ओलावृष्टि या अन्य प्राकृतिक आपदाओं से हुए फसल के नुकसान का मुआवजा दिया जाएगा. इस पोर्टल के लिए किसानों को पहले मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होगा. इसके बाद वे अपने परिवार पहचान पत्र, बैंक खाता संख्या, मेरी फसल मेरा ब्यौरा पंजीकरण संख्या और फसल नुकसान संबंधी दस्तावेजों की सहायता से ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं.

इस पोर्टल के तहत किसानों को फसल के नुकसान की जांच करने के लिए पटवारी को बुलाने की जरूरत नहीं है. किसान अपने मोबाइल फोन से अपनी फसल की फोटो लेकर इस पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं. इसके बाद पटवारी अपने मोबाइल फोन से इस पोर्टल पर जाकर किसान के आवेदन की जांच करेंगे और अपनी रिपोर्ट देंगे. इस प्रक्रिया को 7 दिन के भीतर पूरा करना होगा. जिसके बाद किसान की क्षतिपूर्ति की राशि सीधे उनके बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी जाएगी.

इस पोर्टल के लाभ

इस पोर्टल के लाभ से किसानों को फसल के नुकसान का मुआवजा जल्दी और आसानी से मिलेगा.

किसानों को अपनी फसल की क्षति की जानकारी ऑनलाइन देने से उन्हें अधिकारियों के चक्कर काटने से बचेगा.

किसानों को अपनी फसल की फोटो लेकर अपलोड करने से उन्हें फसल की क्षति का सबूत मिलेगा.

किसानों को अपनी फसल को बचाने और बेहतर बनाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल करने का प्रोत्साहन मिलेगा.

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