गेहूं की फसल में पीलापन से बचने के आसान तरीके, जानें विशेषज्ञों की राय, समय पर समाधान जरूरी

गेहूं की फसल में पीलापन से बचने के आसान तरीके, जानें विशेषज्ञों की राय, समय पर समाधान जरूरी
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गेहूं की फसल में पीलापन से बचने के आसान तरीके, जानें विशेषज्ञों की राय, समय पर समाधान जरूरी

खेत खजाना : गेहूं की फसल में पीलापन एक आम समस्या है, जो फसल की उपज और गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। पीलापन के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अधिक पानी, पोषक तत्वों की कमी, फंगस, आदि। इन कारणों को समझना और उनका समय रहते उपचार करना जरूरी है, ताकि फसल को बचाया जा सके। इस लेख में, हम आपको गेहूं की फसल में पीलापन से बचने के कुछ आसान और प्रभावी तरीके बताएंगे, जो खेकड़ा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए हैं।

पानी का सही इस्तेमाल करें

गेहूं की फसल को अधिक पानी देना या कम पानी देना दोनों ही नुकसानदायक हो सकता है। अधिक पानी से फसल की जड़ों को हवा नहीं मिल पाती है, जिससे वे कमजोर हो जाते हैं और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। कम पानी से फसल को जरूरी नमी नहीं मिल पाती है, जिससे वे सूख जाते हैं और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। इसलिए, पानी का सही इस्तेमाल करना चाहिए, जो जमीन की प्रकृति, मौसम, और फसल की अवस्था के अनुसार हो। आम तौर पर, गेहूं की फसल को 10 से 15 दिन के अंतराल पर पानी देना चाहिए।

पोषक तत्वों की जरूरत को पूरा करें

गेहूं की फसल को अच्छी उपज और गुणवत्ता के लिए कई पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, जिंक, सल्फर, आदि। इन पोषक तत्वों की कमी से फसल का रंग और विकास प्रभावित होता है। इसलिए, फसल को समय-समय पर इन पोषक तत्वों की खाद या छिड़काव करना चाहिए। खेकड़ा कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने बताया कि गेहूं की फसल को 15 से 20 दिन के अंतराल पर 1 किलो एनपी यानि यूरिया का स्प्रे करना चाहिए। इससे फसल का रंग और उसकी बढ़ोतरी अच्छी होती है।

फंगस से बचाव के लिए उपाय करें

फंगस एक ऐसा रोग है, जो गेहूं की फसल को धीरे-धीरे खराब करता है। फंगस से फसल की पत्तियां, तना, और फूल पर काले, पीले, या भूरे रंग के धब्बे पड़ जाते हैं। इससे फसल की उपज और गुणवत्ता कम हो जाती है। फंगस से बचाव के लिए, खेत में पीला चिपचिपा कार्ड (10-12 प्रति एकड़) लगाना चाहिए। इसके बाद, नीम का तेल @3-4 मिली/लीटर पानी या थायोमेथोएक्सम 25 डब्ल्यू जी या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस एल @60-100 ग्राम/एकड़ पानी की मात्रा 180-200 लीटर/एकड़ होनी चाहिए और करीब 15 से 20 दिन के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए। इससे फंगस को रोका जा सकता है।

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