कॉटन को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए प्रयास तेज किसानों को जागरुक करेगा विभाग, उपाय बताएंगे

कृषि • अगेती या पछेती बिजाई से नुकसान की आशंका, इसलिए कृषकों को करेंगे जागरुक, प्रति बीघा 475 ग्राम बीज उपयोग में लेने, दूरी 3 फीट रखने, बनछटियों के निस्तारण की सलाह

कॉटन को गुलाबी सुंडी से बचाने के लिए प्रयास तेज किसानों को जागरुक करेगा विभाग, उपाय बताएंगे
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हनुमानगढ़ : जिले में बीटी कॉटन की बिजाई का उपयुक्त समय 20 अप्रैल से शुरू हो जाएगा। गत वर्ष गुलाबी सुंडी से फसल को बड़े स्तर पर नुकसान हुआ था। इस बार भी नुकसान की आशंका जताई जा रही है।

खरीफ सीजन की कॉटन मुख्य मुख्य फसल होने के कारण सुंडी का प्रकोप बढ़ता है तो जिले की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होगी। ऐसे में सरकार स्तर से निर्देश मिलने के बाद कृषि विभाग ने सुंडी पर नियंत्रण के लिए किसानों को जागरूक करने की कार्य योजना तैयार की है।

सोशल मीडिया, पंफलेट, गोष्ठी सहित विभिन्न माध्यमों से कृषकों को गुलाबी संडी पर नियंत्रण के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस संबंध में विभाग की ओर से कई बिंदु तैयार किए गए हैं। उनमें गुलाबी सुंडी पनपने से रोकने, समय पर बिजाई करने, बिजाई के दौरान खूड से खूड की दूरी और बीज की मात्रा आदि के बारे में विस्तृत बताया गया है।

विभागीय अधिकारियों के अनुसार कॉटन की बिजाई का समय 20 अप्रैल से 20 मई तक उपयोगी होता है। अगेती और पछेती बिजाई हर बार कारगर नहीं होती। ऐसे में कृषकों को उपयुक्त समय में ही बिजाई करनी चाहिए। सिंचाई पानी की व्यवस्था नहीं होने की स्थिति में कॉटन की पछेती बिजाई करने की बिजाई मूंग, मोठ आदि फसल की बिजाई करनी चाहिए। इसके अलावा विभागीय अधिकारी और फील्ड स्टाफ की ओर से कृषकों को बिजाई संबंधी विभिन्न तकनीकी जानकारी भी दी जाएगी।

कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार गत वर्ष बीटी कॉटन की मार्च के अंत से बिजाई शुरू हो गई थी। मई के अंतिम सप्ताह तक किसानों ने बिजाई की। गुलाबी सुंडी के प्रकोप, बॉल सड़ने के रोग तथा बॉल के अपरिपक्व रहने से आशानुरूप कॉटन का उत्पादन नहीं मिला। ऐसे में किसानों को बिजाई से पूर्व अपने खेतों में भंडारित की गई कॉटन बनछटियों के ढेर का निस्तारण करना चाहिए। कॉटन की बिजाई उपयुक्त समय (20 अप्रैल से 20 मई तक) करने, बीटी कॉटन का एक बीघा में एक पैकेट (475 ग्राम) बीज ही उपयोग में

लेने की सलाह दी गई है। प्रति बीघा 2-3 पैकेट डालना फायदेमंद नहीं है। बीटी कॉटन की ढाई फीट वाली बुआई मशीन को 108 सेमी (3 फीट) पर सेट करना चाहिए। किसी भी हालात में 3 फीट से कम दूरी पर बिजाई नहीं करनी चाहिए। प्रथम सिंचाई के बाद में पौधे से पौधे की दूरी 2 फीट रखने के लिए विरलीकरण आवश्यक रूप से करना चाहिए। बिजाई के समय सिफारिश उर्वरक बैसल में अवश्य देना चाहिए, क्योंकि बैसल में दिए जाने वाले उर्वरक खड़ी फसल में देने से अधिक कारगर परिणाम नहीं देते हैं।

इधर, कृषि आदान विक्रेताओं ने बीटी कॉटन बीज की अनुमति देने का उठाया मुद्दा ताकि समय पर हो बिजाई.. डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चर इनपुट डीलर्स एसोसिएशन ने बीटी कॉटन के बीज की अनुमति देने का मुद्दा उठाया है। अध्यक्ष बालकिशन गोल्याण, सचिव चरणजीत धींगड़ा ने मुख्यमंत्री के हनुमानगढ़ आगमन पर ज्ञापन दिया। ज्ञापन में बताया कि जिले में बड़े क्षेत्र में बीटी कॉटन की बिजाई होती है। रबी फसलों की कटाई हो चुकी है और अब सिंचाई पानी भी उपलब्ध है।

ऐसे में किसान बीटी कॉटन बीज मांग कर रहे हैं। पड़ोसी राज्यों पंजाब व हरियाणा में बीज की अनुमति मिल चुकी है। राजस्थान में भी बीज विक्रय की अनुमति दिलाई जाए ताकि किसान उपयुक्त समय में फसल की बिजाई कर सके।

फ्लैश बैक: गत वर्ष गुलाबी सुंडी से 80 प्रतिशत से अधिक नुकसान हुआ

जिले में गत वर्ष 2 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बीटी कॉटन की बिजाई की थी। गुलाबी सुंडी के प्रकोप से 80 प्रतिशत से अधिक फसलें नष्ट हो गई थी। इसलिए किसान इस बार ऐसे बीज की तलाश में है जिनमें गुलाबी सुंडी का प्रकोप न हो।

सोशल मीडिया पर बीटी 4 तक किस्म के बीज होने का दावा किया जा रहा है और इसमें यह भी बताया जा रहा है कि गुलाबी सुंडी का प्रकोप नहीं होता। इसलिए किसान भी नकली कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं। जबकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अब तक बीटी-2 किस्म का बीज ही उपलब्ध है। इस किस्म में गुलाबी सुंडी की प्रतिरोधी क्षमता नहीं है। अब तक इसको लेकर रिसर्च में नहीं हुआ है।



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