यहां चल रही थी तालाब की खुदाई, खुदाई में मिला कुछ ऐसा की एक सप्ताह से 3 विभाग के अधिकारी बेठे डेरा डाले, ग्रामीणों की लगी भीड़
यहां चल रही थी तालाब की खुदाई, खुदाई में मिला कुछ ऐसा की एक सप्ताह से 3 विभाग के अधिकारी बेठे डेरा डाले, ग्रामीणों की लगी भीड़
Khet Khajana, New Delhi : बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा इलाके के सिझौड़ी गांव में एक तालाब में खुदाई के दौरान एक अनोखा खजाना मिला है। यहां पर भगवान सूर्य की एक दुर्लभ प्रतिमा मिली है, जो आठवीं शताब्दी की मानी जा रही है। इस प्रतिमा को देखकर गांववालों का उत्साह देखने लायक था। उन्होंने तुरंत इसे अपने गांव के मंदिर में रखा और उसी तालाब में एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का फैसला किया।
इस खबर को सुनकर जिला प्रशासन भी गांव पहुंचा और प्रतिमा का अवलोकन किया। पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी इस प्रतिमा को देखने के लिए आए और उसका पुरातात्विक महत्व जानने की कोशिश की। अधिकारी चाहते थे कि यह प्रतिमा म्यूजियम में रखी जाए, लेकिन गांववालों ने इसे अपने पास ही रखने की जिद की। उन्होंने कहा कि यह प्रतिमा उनके गांव की शान है और वह इसे किसी को नहीं देंगे।
तालाब में छिपा है और भी रहस्य
गांव के तालाब में जहां से भगवान सूर्य की प्रतिमा मिली है, वहां और भी कुछ रहस्य छिपे हैं। तालाब के बीच में एक लकड़ी का स्तंभ है, जो कई दशकों से वहीं पर खड़ा है। इस स्तंभ को न तो कोई निकाल सका है और न ही यह सड़ा है। गांववालों का मानना है कि यह स्तंभ किसी प्राचीन मंदिर का हिस्सा है और इसमें कोई शक्ति है। इसके अलावा, तालाब के कुछ हिस्सों में प्राचीन काल के ईंट के अवशेष भी मिले हैं, जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि यहां पर कोई मंदिर था।
मंदिर निर्माण की तैयारी शुरू
गांववालों ने अपने गांव के तालाब में भगवान सूर्य का मंदिर बनाने की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने एक मंदिर निर्माण समिति भी बनाई है, जिसमें प्रत्येक गांव के पांच-पांच सदस्य शामिल हैं। सम
भगवान सूर्य की प्राचीन प्रतिमा मिली, गांववालों ने बनाया मंदिर
भगवान सूर्य की प्राचीन प्रतिमा मिली
बिहार के जमुई जिले के सिकंदरा इलाके के सिझौड़ी गांव में एक तालाब में खुदाई के दौरान एक अनोखी चीज मिली। वह थी भगवान सूर्य की एक प्राचीन प्रतिमा, जो आठवीं शताब्दी की मानी जाती है। इस प्रतिमा को देखकर गांववालों का उत्साह देखने लायक था। उन्होंने फौरन ही तालाब में एक भव्य सूर्य मंदिर बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने एक मंदिर निर्माण समिति भी बनाई और भूमिपूजन की तारीख भी तय की।
इस खबर को सुनकर जिला प्रशासन भी गांव में पहुंचा और प्रतिमा का अवलोकन किया। पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी इस मामले में जुट गए और तालाब के इतिहास को जानने की कोशिश करने लगे। उन्होंने पता लगाया कि तालाब के जिस हिस्से में प्रतिमा मिली है, वहां प्राचीन काल के ईंट के अवशेष भी मौजूद हैं। इसके अलावा, तालाब के बीच में एक लकड़ी का स्तंभ भी है, जो कई दशकों से वहीं पर खड़ा है। इस स्तंभ को निकालने की कोशिश की गई तो जेसीबी के पंजे टूट गए।
गांववालों का मानना है कि यह स्तंभ भगवान सूर्य का ही है और इसे उसी जगह पर रहने देना चाहिए। उन्होंने तालाब के आसपास बांस-बल्लियों से बैरिकेडिंग कर दी है और उसे एक पवित्र स्थान बना दिया है। उन्होंने खुदाई के दौरान मिली प्रतिमा को गांव के ठाकुरबाड़ी मंदिर में रखा है, जहां लोग रोजाना दर्शन करने आते हैं।
गांववालों ने 21 या 22 फरवरी को तालाब में सूर्य मंदिर का भूमिपूजन करने का इरादा रखा है। उन्होंने सिकंदरा प्रखंड के सभी गांवों से पांच-पांच सदस्यों को मंदिर निर्माण समिति में शामिल किया है। उन्होंने यह भी कहा है कि 16 फरवरी को अचला सप्तमी के दिन से तालाब पर भगवान सूर्य का भजन-कीर्तन शुरू हो जाएगा।
इस प्रकार, एक तालाब में खुदाई के दौरान मिली एक प्राचीन प्रतिमा ने गांव का रूप ही बदल दिया है। गांववालों का कहना है कि यह भगवान सूर्य का चमत्कार है और उन्हें उनकी पूजा करने का अवसर मिला है। वहीं प्रशासन और पुरातत्व विभाग के अधिकारी भी इस मामले को गंभीरता से लेकर तालाब के इतिहास को जानने का प्रयास कर रहे हैं।