गांव के तालाब में चल रही थी JCB से खुदाई, आने लगी अजीबो गरीब आवाजे, माजरा देख हिल गया प्रशासन, लोगों ने जोड़े हाथ

गांव के तालाब में चल रही थी JCB से खुदाई, आने लगी अजीबो गरीब आवाजे, माजरा देख हिल गया प्रशासन, लोगों ने जोड़े हाथ
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गांव के तालाब में चल रही थी JCB से खुदाई, आने लगी अजीबो गरीब आवाजे, माजरा देख हिल गया प्रशासन, लोगों ने जोड़े हाथ

खेत खजाना: बिहार के जमुई जिले में एक गांव में तालाब की खुदाई के दौरान एक ऐसी चीज मिली जिसने सबको चौंका दिया। वह थी भगवान सूर्य की एक प्राचीन प्रतिमा जो काले पत्थर से बनी थी। यह प्रतिमा इतनी अनमोल और दुर्लभ है कि इसका मूल्य अनुमान से भी परे है। इस प्रतिमा को देखकर गांववालों ने तो इसे भगवान का प्रसाद मान लिया और इसकी पूजा अर्चना करने लगे। लेकिन प्रशासन ने इसे अपने कब्जे में लेने की कोशिश की जिससे गांववालों के बीच विवाद उत्पन्न हुआ।

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कैसे यह प्रतिमा मिली, यह कितनी पुरानी और कीमती है और इस पर गांववालों और प्रशासन के बीच क्या विवाद हुआ।


तालाब में खुदाई करते हुए मिली प्रतिमा

यह घटना मंगलवार को हुई जब सिझौड़ी गांव के तालाब से खेत में मिट्टी डालने के लिए जेसीबी से खुदाई की जा रही थी। खुदाई के दौरान जमीन के अंदर से अजीब आवाज आई जो जेसीबी ऑपरेटर को डरा दी। उसने खुदाई रोक कर मिट्टी हटाई तो उसे एक काले पत्थर की मूर्ति दिखाई दी। उसने और मिट्टी हटाई तो उसे पता चला कि वह मूर्ति भगवान सूर्य की है जो लगभग साढ़े तीन फीट लंबी है।

जेसीबी ऑपरेटर ने तुरंत गांववालों को बताया कि उसे एक बहुत ही अनमोल प्रतिमा मिली है। गांववालों ने भी जल्दी से तालाब की ओर दौड़ा और उन्होंने भी उस प्रतिमा को देखा। उन्हें लगा कि यह भगवान का चमत्कार है और उन्होंने उस प्रतिमा को अपने हाथों में उठाकर गांव के मंदिर में ले जाया। वहां उन्होंने उसकी पूजा अर्चना की और उसे आस्था और श्रद्धा से नमन किया।


प्रतिमा का इतिहास और महत्व

गांववालों को तो यह प्रतिमा भगवान का प्रसाद लगी लेकिन इसका इतिहास और महत्व भी बहुत है। इस प्रतिमा को देखने के बाद पुरातत्ववेता डॉ रविशंकर कुमार गुप्ता ने बताया कि यह प्रतिमा पाल कालीन आठवीं शताब्दी की है और इसे काले पत्थर से बनाया गया है। यह प्रतिमा अखंडित और बिल्कुल सही हालत में है। इसमें भगवान सूर्य को मुकुट धारी और कमल फूल लिए हुए दिखाया गया है। इसके नीचे दो छोटी प्रतिमाएं भी हैं जो शायद भगवान विष्णु की हैं। इस प्रतिमा को देखकर लगता है कि यह एक शासक या राजा के द्वारा बनवाई गई होगी।

डॉ गुप्ता ने और बताया कि यह प्रतिमा भगवान सूर्य की दुर्लभ प्रतिमा है क्योंकि इस तरह की प्रतिमाएं बहुत कम मिलती हैं।

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