किसान भाई ध्यान दे! शीतलहर और पाले से कैसे बचाएं फसल? जानिए ये आसान तरीका

किसान भाई ध्यान दे! शीतलहर और पाले से कैसे बचाएं फसल? जानिए ये आसान तरीका
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इन दिनों किसान अपनी फसल काटने के बाद गेहूं की बुआई में लगे हैं, वही दूसरी ओर ठंड के कारण फसलों को हो सकता है। इस रिपोर्ट में हम जानेंगे कि सिंचाई कब करें, अधिक ठंड में कितनी मात्रा में करें, फसलों को अत्यधिक ठंड से कैसे बचाएं, और रासायनिक तरीके से कैसे सहारा लें।

जब भी पाला, यानी ठंड पड़ने की संभावना हो या मौसम विभाग का पूर्वानुमान हो, फसल में हल्की सिंचाई देनी चाहिए। इससे तापमान 0 डिग्री से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पहले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से 0.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में वृद्धि होती है।

पौधों को ढंके, ऐसे करें बचाव

पाल, यानी अत्यधिक ठंड, से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में लगे पौधों को होता है। इससे बचने के लिए नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढंकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है, जिससे सात का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पहले से बच जाते हैं। पॉलिथिन की जगह पुआल का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

रासायनिक तरीके से बचाएं

जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो, उसे दिन फसलों पर सल्फर के 80 WDG पाउडर को 3 किलोग्राम एक एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर दें और इसके बाद खेतों की सिंचाई कर दें.

ये पेड़ लगाकर ठंडी हवा से बचाएं

फसलों को पहले से बचाने के लिए, खेत की उत्तरी पश्चिमी मेड़ों पर और बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोध पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बाबुल, और जामुन आदि लगा दिए जाएं, तो ठंडी हवा के झोंकों से फसल का बचाव संभावनाएं हो सकती हैं। यदि किसानों को इनमें से किसी भी में कीट या रोग की संकेत दिखें, तो वे तत्काल कृषि विभाग या संबंधित अधिकारी से संपर्क करें, या अपने निकटतम कृषि रक्षा इकाई से संपर्क कर सकते हैं।

उपनिदेशक कृषि विजय कुमार ने बताया, इन दिनों बुंदेलखंड में ठंड का प्रकोप है, कोहरे के कारण पाला पड़ रहा है, इस वजह किसान भाई ठंड से फसलों को बचाएं, पाला से बचाने के लिए सिंचाई करें जिससे तापमान में बढ़ोतरी होती है. पौधों को प्लास्टिक या पुआल डालकर बचाएं. ठंड से खेती को बचाने के लिए और एवं कीट नाशकों से बचाने के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं.

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