Farmer Subsidy: किसानों के लिए फायदे की खबर! सरकार दे रही है 90% सब्सिडी, फटाफट ऐसे उठाए योजना का लाभ

Farmer Subsidy: किसानों के लिए फायदे की खबर! सरकार दे रही है 90% सब्सिडी, फटाफट ऐसे उठाए योजना का लाभ
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बिहार के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। अब उन्हें सिंचाई के लिए बारिश की पूरी तरह से निर्भरता से मुक्ती मिलेगी। उनकी फसलों को समय पर पानी मिलेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने किसानों के हित में सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत किसानों को बड़ी सब्सिडी प्रदान करने का प्लान किया है। सरकार का मानना है कि प्रदेश में सूक्ष्म सिंचाई योजना को बढ़ावा देने से फसलों की पैदावार में वृद्धि होगी। इससे किसानों को अधिक मुनाफा हो सकता है।

वास्तविकता में, बिहार सरकार ने सूक्ष्म सिंचाई योजना की शुरुआत की है ताकि पानी की बर्बादी न हो। उन्होंने इसे शुरू किया है क्योंकि ट्यूबवेल से सीधे सिंचाई करने से पानी का उपयोग अधिक होता है, लेकिन पौधों की जड़ों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। इससे पैदावार पर असर पड़ता है, लेकिन यह विधि भी ज्यादा खर्चीली होती है।

ऐसे में, यदि किसान सूक्ष्म सिंचाई योजना के तहत पौधों को पानी पहुंचाते हैं, तो उन्हें अधिक लाभ हो सकता है। सरकार ने इस योजना के तहत किसानों को बंपर सब्सिडी देने का निर्णय लिया है। यदि किसान और अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो वे अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं।

ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 जून है

वहीं, बिहार सरकार राज्य में बागवानी फसलों के ऊपर भी सब्सिडी दे रही है. राष्ट्रीय बागवानी मिशन और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत आम, अमरूद, लीची और कटहल की खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी दी जाएगी. अगर किसान भाई योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो http://horticulture.bihar.gov.in पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं. ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 जून है.

इस फसलों के उत्पादन में बिहार है नंबर वन

खास बात यह है कि बिहार सरकार ने बागवानी फसलों के क्षेत्रफल में विस्तार करने के लिए इस योजना के माध्यम से सब्सिडी देने का प्लान बनाया है. अगर किसान योजना और सब्सिडी के बारे में अधिक जानकारी हासिल करना चाहते हैं, तो जिला उद्यान अधिकारी से मिल सकते हैं. बता दें कि बिहार का बागवानी फसलों की खेती में कोई जोड़ नहीं है. भिंडी, लीची, मशरूम और मखाने के उत्पादन में बिहार देश भर में पहले स्थान पर है. यानी कि सबसे अधिक इन फसलों का प्रोडक्शन यहीं पर होता है.

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