किसान ने निकाला खेत से खजाना : सरसों के एक पौधे से निकाला 10 किलो झाड़, अपनी महनत से कमाई की बना दी रॉकेट

किसान ने निकाला खेत से खजाना : सरसों के एक पौधे से निकाला 10 किलो झाड़, अपनी महनत से कमाई की बना दी रॉकेट
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किसान ने निकाला खेत से खजाना : सरसों के एक पौधे से निकाला 10 किलो झाड़, अपनी महनत से कमाई की बना दी रॉकेट

खेत खजाना : विशाल सरसों की खेती आपने शायद कभी नहीं सुना होगा कि कोई किसान एक पेड़ से 10 किलो सरसों की फसल उगा रहा है. लेकिन यह सच है. पश्चिम बंगाल के गंगनापुर जिले के देबग्राम के विकास दास ने ऐसी विशाल सरसों की खेती करके अपनी आमदनी को रॉकेट की तरह बढ़ाया है. इस खेती का राज जानने के लिए पढ़ते रहिए.

विकास दास का कहना है कि उन्होंने इस विशाल सरसों की खेती करने के लिए कोई खास बीज या खाद नहीं इस्तेमाल किया है. बस उनके वहां का वातावरण इस फसल के लिए बहुत अनुकूल है. विकास ने बताया कि उन्होंने इस फसल को लगाने के लिए मात्र 100 ग्राम बीज का इस्तेमाल किया है. उन्होंने एक बीघे में सिर्फ 50 पौधे लगाए हैं. इन पौधों की लंबाई 7 फिट तक हो जाती है. और इन पौधों से प्रति हेक्टेयर 7 से 8 क्विंटल की पैदावार होती है. जबकि आम तौर पर सरसों की प्रति हेक्टेयर पैदावार 2 से 3 क्विंटल होती है.

विकास दास का कहना है कि इस फसल की खेती से उन्हें बहुत फायदा हुआ है. उन्होंने बताया कि इस फसल का दाम बाजार में 50 रुपये प्रति किलो है. इसका मतलब है कि उन्हें एक पेड़ से 500 रुपये की आमदनी होती है. और एक बीघे से 25 हजार रुपये की आमदनी होती है. विकास ने बताया कि उन्हें इस फसल की खेती में लागत भी बहुत कम आती है. उन्हें न तो ज्यादा बीज की जरूरत पड़ती है, न ही ज्यादा खाद या पानी की. उन्हें बस एक बार ही खाद डालनी पड़ती है. और वो भी जैविक खाद. उन्होंने बताया कि उन्हें इस फसल की खेती में एक बीघे में सिर्फ 500 रुपये की लागत आती है.

विकास दास का कहना है कि इस फसल की खेती करने का उन्हें विचार एक दिन अपने गांव में एक वृद्ध किसान से मिलने के बाद आया था. उन्होंने बताया कि वो वृद्ध किसान भी इसी तरह की विशाल सरसों की खेती करता था. उसने उन्हें इस फसल के बारे में बताया था. उसने उन्हें इस फसल के बीज भी दिए थे. उसके बाद विकास ने भी इस फसल की खेती करना शुरू किया. और आज वो इस फसल की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं.

विकास दास का कहना है कि इस फसल की खेती करने से उन्हें न केवल आमदनी में इजाफा हुआ है, बल्कि उनकी जमीन की उपजाऊंता भी बढ़ी है. उन्होंने बताया कि इस फसल के पेड़ों के नीचे उन्होंने अन्य फसलें भी लगाई हैं. जैसे कि चना, मटर, गेहूं आदि. उन्होंने बताया कि इस फसल के पेड़ों के पत्ते और छाल जमीन को उर्वर करते हैं. और इससे उनकी जमीन का PH लेवल भी बेहतर होता है.

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