किसान परम्परागत खेती को छोड़कर बागवानी की खेती की ओर हो रहे अग्रसर।

किसान परम्परागत खेती को छोड़कर बागवानी की खेती की ओर हो रहे अग्रसर।
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किसान परम्परागत खेती को छोड़कर बागवानी की खेती की ओर हो रहे अग्रसर।

खेत खजाना । सिरसा, क्षेत्र के किसान अब परंपरागत खेती के साथ साथ आधुनिक खेती की दिशा में बढ़ रहे हैं। किसानों का रूझान बागवानी की तरफ काफी दिखाई दे रहा है। ऐसे में बागवानी में दोहरा लाभ कमाने के लिए सिरसा के युवा किसान सुभाष हुड्डा ने परंपरागत खेती के साथ साथ अनार की खेती करने का मन बनाया है।

किसान का कहना है कि पारंपरिक खेती में किसानों को लागत अधिक व उत्पादन कम होने के कारण घाटा झेलना पड़ रहा है। किसी वर्ष अच्छी फसल आए तो भाव में गिरावट आना, सरकारी खरीद नहीं होने, उपज जमा भी हो गई तो भुगतान में देरी की समस्या से किसान लगातार पारंपरिक खेती से उब रहा है। इलाके में जहां बाजरा, मूंग, मोठ, ग्वार आदि की फसल की बुवाई मानसून के भरोसे होती है। कुछ वर्षों को छोडकऱ हर बार किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है।

जिसके चलते 2 एकड़ में अनार की खेती करने का मन बनाया है। किसान सुभाष का कहना है कि कृषि विशेषज्ञों से पूरी जानकारी के अनुसार इस बार 2 एकड़ में अनार के पौधे लगाए है जिसमे पैदावार अच्छी होती है तो उनके पास 12 एकड़ जमीन है सभी मे अनार की बागवानी की जाएगी। इससे एक ओर जहां अच्छा मुनाफा होगा, वहीं अधिक मेहनत भी नही करनी पड़ती है।

बागवानी में किसानों को मिल रहा दोहरा लाभ ।

सुभाष हुड्डा ने बताया कि अगर किसान मेहनती है तो उसको बागवानी में दोहरा लाभ हो सकता है।उन्होंने बताया कि बागवानी में पौधों की लाइन से लाइन की दूरी करीब 14 फिट का फासला रहता है, ओर पौधे से पौधे की दूरी 9 फिट रहती है। ऐसे में एकड़ में 325 पौधे लगते है। इसके साथ ही किसान कई तरह की सब्जी व हल्की फसल आदि उगा कर भी अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। अधिक मुनाफा देखकर आसपास के ग्रामीण इसी राह पर चल पड़े हैं।

नही लिया अभी तक सरकार से कोई अनुदान।

युवा किसान सुभाष हुडा ने बताया कि 2 एकड़ में करीब दो लाख रुपये का खर्चा आया है। लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें कोई अनुदान नही मिला है। खुद अपने पले से ही ड्रिप सिस्टम, पौधे व तार बंदी का खर्चा उठाया है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सरकार को किसानों को अनुदान देना चाहिए जिससे किसानों को बागवानी खेती करने में किसी भी प्रकार की परेशानी ना उठानी पड़े।

20 से 24 वर्ष तक होती है कमाई।

किसान सुभाष हुड्डा का मानना है कि अनार की फसल लगाने से किसान को लंबे समय तक कमाई होती है। एक बार अनार के पौध तैयार होने के बाद 24 वर्ष तक अनार का उत्पादन होता है। जबकि अन्य फसलों के लिए प्रतिवर्ष उतनी ही मेहनत करनी पड़ती है। इसमें अन्य फसलों की तुलनात्मक निकाई-गुड़ाई का झंझट कम रहता है। सिंचाई के लिए पौध में जलभराव नहीं होना चाहिए।

बंजर जमीन में भी होती अनार की फसल।

फसलों की अच्छी उपज के लिए मिट्टी सबसे महत्वपूर्ण होता है। उपजाऊ जमीन में ही अधिक फसल उगती है, लेकिन अनार की फसल किसी भी मिट्टी में तैयार की जा सकती है। बंजर जमीन में भी अनार की पैदावार करके किसान मलामाल हो सकते हैं।

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