चार जिलों में किसानों ने की कीटों से दोस्ती कर रहे रसायन मुक्त खेती

इस वर्ष खरीफ सीजन में किसानों ने लगभग 5,000 एकड़ में बिना कीटनाशकों का उपयोग किए कपास, ग्वार, मूंगफली, बाजरा की फसलें लगाई हैं.

चार जिलों में किसानों ने की कीटों से दोस्ती कर रहे रसायन मुक्त खेती
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खेत खजाना : Agriculture News : कैंसर को रोकने के लिए शुरुआत की. सुरेंद्र दलाल का कीट साक्षरता मिशन अब तीन राज्यों तक फैल चुका है. इस मिशन में हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान शामिल हैं. इस वर्ष खरीफ सीजन में किसानों ने लगभग 5,000 एकड़ में बिना कीटनाशकों का उपयोग किए कपास, ग्वार, मूंगफली, बाजरा की फसलें लगाई हैं. अभियान के तहत हरियाणा के चार जिलों में किसान पाठशाला कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं. डॉ. सुरेंद्र दलाल कीट साक्षरता मिशन एवं हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति प्रदेश के किसानों के बीच कीटनाशक मुक्त खेती के लिए अभियान चला रही है. इस उद्देश्य के लिए सोशल मीडिया ग्रुप भी बनाए गए हैं. यूट्यूब पर कई वीडियो अपलोड किए जाते हैं.

Agriculture News : मिशन की शुरुआत जींद जिले के गांव निडाना से हुई

अभियान संयोजक डाॅ. बलजीत भ्याण ने बताया कि हिसार के मोहब्बतपुर, फतेहाबाद के कीर्तन गांव, फतेहाबाद के चंद्रावल, जींद के काकरोद, सिरसा के कांशी का बास और खारी सुरेरा में हर सप्ताह कक्षाएं लगाई जा रही हैं. राजस्थान के कैथाना, गाजूवाला, पंजाब के मानसा, बठिंडा और होशियारपुर में मिशन संचालित किए जा रहे हैं. कृषि विकास अधिकारी डाॅ. सुरेंद्र दलाल ने इसकी शुरुआत 2008 में जींद जिले के गांव निडाना से की थी.

वर्ष 2013 में डाॅ. सुरेंद्र दलाल की मौत के बाद उनकी टीम के अन्य साथी इस मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं. इस अभियान में किसानों को प्रशिक्षण दिया जाता है. वे आगे अन्य किसानों को प्रशिक्षित करते हैं. हिसार के 35 गांवों में अभियान से जुड़े लोग कीटविज्ञानी बनकर कीटों की पहचान करना सीख गए हैं. डॉ. बलजीत भ्याण ने कहा कि खेत शाकाहारी और मांसाहारी जीवों का घर हैं. वे आपको सिखाते हैं कि कीटों की गिनती कैसे करें और पता लगाएं कि क्या ये कीट वित्तीय नुकसान के कगार पर हैं.

Agriculture News : सबसे पहले कीटों की पहचान जरूरी है

खेत में कीटों के सर्वेक्षण के लिए यादृच्छिक रूप से दस पौधों का चयन करें. प्रत्येक पौधे से तीन पत्तियाँ चुनें. इन पत्तों पर शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के कीड़ों की गिनती करें. इससे उस खेत में प्रति पत्ती कीटों की संख्या निर्धारित होगी. वैज्ञानिकों ने सभी शाकाहारी कीटों के आर्थिक नुकसान की सीमा निर्धारित कर ली है. उदाहरण के लिए, यदि सफेद मक्खी प्रति पत्ती 6 से 8, हरा तेला 2 प्रति पत्ती, चुरड़ा 10 प्रति पत्ती, माइट प्रति पत्ती 20 है, तो इस अवस्था तक फसल को आर्थिक हानि से कम माना जाएगा. किसानों को हर सप्ताह अपने खेतों में जाकर सर्वेक्षण करना चाहिए.

Agriculture News : स्प्रे करने वाले 16% किसानों को कैंसर हो जाता है

हैदराबाद और लखनऊ की टीम ने हिमाचल प्रदेश के 22 ब्लॉकों में सर्वे किया. इसमें पाया गया कि कीटनाशकों का छिड़काव करने वाले 16 प्रतिशत किसानों को कैंसर हो जाता है. एक एकड़ कीटनाशक का छिड़काव करने में किसानों को 3,000 रुपये का खर्च आता है. यह स्प्रे उन सभी लोगों के लिए कैंसर का खतरा पैदा करता है जो इस फार्म के उत्पादों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में भी इसका उपयोग करते हैं. कीटनाशक हवा, पानी, पशु आहार के माध्यम से कैंसर को मानव जीवन में पहुंचाते हैं.

Agriculture News : जहां कीटनाशकों का प्रयोग नहीं होता, वहां नुकसान कम होता है

डॉ. बलजीत भ्याण ने कहा कि किसानों के सहयोग से किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि कीटनाशकों का प्रयोग न करने वाले किसानों में गुलाबी सुंडी का नुकसान अन्य क्षेत्रों की तुलना में काफी कम है. वहीं जिन लोगों ने ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल किया उन्हें इस साल ज्यादा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, कोई भी कीटनाशक गुलाबी कसावा को नियंत्रित नहीं करता है. गुलाबी सुंडी के नाम पर स्प्रे पर हजारों रुपये बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है. अभियान का उद्देश्य किसानों में कीटों के प्रति भय और भ्रम को दूर कर कीटों की पहचान करना है.

Agriculture News : पौधों को मजबूती देने के लिए इसका छिड़काव करें

पूर्व जिला उद्यान पदाधिकारी डाॅ. बलजीत भ्याण ने कहा कि किसानों को फसल में पौधों को मजबूत करने के लिए पांच से छह बार स्प्रे करना चाहिए. 100 लीटर पानी में 2.5 किलोग्राम यूरिया, 2.5 किलोग्राम डीएपी, आधा किलोग्राम जिंक 21 प्रतिशत मिलाकर छिड़काव करें. इस स्प्रे से पौधा मजबूत होगा.

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