कीटों व बीमारियों की वजह से किसान खड़ी फसल में हल चलाने को मजबूर

हरियाणा सरकार व फसल बीमा कंपनी ने 7 जिलों का बीमा प्रीमियम लौटा कर किसानो से किया धोखा

कीटों व बीमारियों की वजह से किसान खड़ी फसल में हल चलाने को मजबूर
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कीटों व बीमारियों की वजह से किसान खड़ी फसल में हल चलाने को मजबूर: लखविंद्र सिंह औलख

हरियाणा सरकार व फसल बीमा कंपनी ने 7 जिलों का बीमा प्रीमियम लौटा कर किसानो से किया धोखा

खेत खजाना, सिरसा। भारतीय किसान एकता बीकेई की टीम ने ऐलनाबाद क्षेत्र के गांव खारी सुरेरां सहित कई गांवों में नरमे व धान की बर्बाद हो रही फसलों के बारे में किसानों से विचार चर्चा की। औलख ने बताया कि खारी सुरेरां के किसान बलविंदर झोरड़ की ढाई एकड़ धान की फसल पता लपेट बीमारी से ग्रस्त थी। हजारों रुपए की कीटनाशक का छिडक़ाव करने के बावजूद भी वह ठीक नहीं हुई, जिसके बाद किसान ने अपनी खड़ी फसल में हल चला दिए।

ऐलनाबाद क्षेत्र में गुलाबी सुंडी ने नरमें की फसल में आतंक मचा रखा है। खारी सुरेरा गांव में भी किसान गुलाबी सुंडी से परेशान है। किसान भाला राम व विकास सहारण ने बताया कि उन्होंने राशि, टाटा व अजीत बीटी बीज कंपनियों सहित कई कंपनियों का बीटी बीज अपने खेत में बिजाई किया था। सभी में गुलाबी सुंडी का अटैक है। हजारों रुपए की कीटनाशक दवाइयां भी इसमें करके देख ली, लेकिन किसी का भी कोई रिजल्ट नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि बीटी बीज कंपनियां व पेस्टीसाइड कंपनियां सरकार की शह पर किसानों को बर्बाद करने में लगी हुई है। औलख ने कहा कि धान और नरमें की फसलों के नुकसान को देखते हुए सरकार की साजिश के तहत हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने 10 सितंबर को एक पत्र जारी करके हरियाणा के 7 जिलों के किसानों का फसल बीमा प्रीमियम वापस देने के आदेश जारी किए हैं।

दूसरी तरफ कृषि मंत्री का मीडिया के माध्यम से ब्यान आ रहा है कि दो नंबर क्लस्टर के 7 जिलों का बीमा कृषि विभाग करेगा। किसी किसान को दिक्कत नहीं आने दी जाएगी। औलख ने कहा कि एक तरफ तो कृषि मंत्री जेपी दलाल का मौखिक बयान है। दूसरा विभाग द्वारा 10 सितंबर को पत्र संख्या 10706 जारी किया गया, जिसमें आदेश हैं। अब हम किसको सच माने और किसको झूठ, यह भी सरकार बताए। इस मौके बीकेई से नागेंद्र सिंह, विकास सहारण, कुलदीप देहड़ू, कुलदीप सिहाग, मित्रसेन, भालाराम, महेन्द्र, भीम, नितिन, महावीर, योगेन्द्र, प्रमोद, शिशपाल कसवां, मुकेश, गोपाल, सुरेन्द्र सिहाग, सुरेन्द्र झोरड़ सहित अन्य किसान शामिल रहे।

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