किसानों को पराली की समस्या से निपटने के लिए हैप्पी सीडर और मल्चर का सहारा

इसे जलाने से पर्यावरण में जहर घुस जाता है और सांस लेने में परेशानी होती है। खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है।

किसानों को पराली की समस्या से निपटने के लिए हैप्पी सीडर और मल्चर का सहारा
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क्यों हैं परेशान किसान?

पराली के समस्या से प्रदूषण और स्वास्थ्य को खतरा है, इसे समाधान की तलाश है। किसान अक्सर कॉम्बाइन हार्वेस्टर से धान की कटाई करते हैं, जिसके बाद फसल के अवशेष यानी पराली खेत में ही रह जाता है। इसे जलाने से पर्यावरण में जहर घुस जाता है और सांस लेने में परेशानी होती है। खेतों में पराली जलाने से मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है।

पराली को मल्चर से खेत में बनाएं खाद

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, पराली जलाने से खेत में नुकसान होता है, और इससे उपस्थित खाद का भी हानि होता है। मल्चर यंत्र का इस्तेमाल कर पराली को खेत की मिट्टी में मिल्चिंग करके खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे किसान अपने खेतों के लिए बेहतर खाद बना सकते हैं और पर्यावरण प्रदूषण से बच सकते हैं।

हैप्पी सीडर किसानों का साथी

हैप्पी सीडर मशीन का उपयोग करके किसान पराली समस्या से निपट सकते हैं और अपने खेतों की बुआई कर सकते हैं। इस मशीन की सहायता से फसल अवशेषों को खेत में मिलाने में काफी मदद मिलती है, और खेत की मिट्टी को बेहतर बनाने में भी सहायक होती है।

हैप्पी सीडर से बुवाई के कई लाभ

हैप्पी सीडर मशीन का उपयोग करने से किसानों को कई लाभ होते हैं, जैसे कि बुवाई के साथ-साथ खेत की सिचाई की जरूरत नहीं होती है, जिससे पानी की बचत होती है। इसके साथ ही, पराली का सहायक बनकर यह मशीन खेत की मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ावा देती है, और खरपतवारों को भी रोकती है।

पराली समस्या का समाधान करने के लिए हैप्पी सीडर और मल्चर जैसे कृषि यंत्रों का उपयोग करना किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे न केवल समस्या का समाधान होता है, बल्कि पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है, और खेतों की उपज में भी वृद्धि होती है। इस तरह किसान अपने खेतों की सुखद और स्वस्थ उपज प्राप्त कर सकते हैं, और पर्यावरण को भी सुरक्षित रख सकते हैं।

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