सरसों में बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को किया गया जागरूक, अधिकारियों का अनुमान- 22 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होने की पूरी संभावना

केंद्र द्वारा समय-समय पर खेती का निरीक्षण करने की सुझाव दी जा रही है। इससे किसानों को सही तकनीकों का प्रयोग करने में मदद मिलेगी।

सरसों में बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को किया गया जागरूक, अधिकारियों का अनुमान- 22 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होने की पूरी संभावना
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सरसों में बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को किया गया जागरूक, अधिकारियों का अनुमान- 22 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन होने की पूरी संभावना

सरसों की खेती में अधिक पैदावार को बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, भीलवाड़ा द्वारा किसानों को उन्नत बीजों और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। केन्द्र के सहयोग से इस वर्ष आलमास के किसानों को 20 से 22 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सरसों की उपज मिलने की संभावना है जो पिछले वर्ष की अपेक्षा 4 से 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर अधिक है। नवीनतम तकनीकी उपायों और उन्नत बीजों के प्रयोग से किसानों को बेहतर प्रदर्शन और अधिक पैदावार की संभावना है।

सरसों के उन्नत बीज

आरएच 725 किस्म का बीज

किसानों को आरएच 725 किस्म के सरसों का उपयोग करने का सुझाव दिया गया है। यह उन्नत प्रजाति का बीज है जो अधिक पैदावार और बेहतर उत्पादकता देने की संभावना है।

बीजों के लिए उपलब्ध तकनीकी सहायता

किसानों को बीजों के बीमारियों और कीटों से बचाव के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई गई है। इससे उनकी फसल की सुरक्षा में मदद मिलेगी और पैदावार में वृद्धि होगी।

उपाय और सहायता

बीजों का ट्रीटमेंट

बीजों का ट्रीटमेंट करने के लिए किसानों को अद्यातन तकनीकियों का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। यह बीमारियों और कीटों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाएगा।

समय-समय पर निरीक्षण

केंद्र द्वारा समय-समय पर खेती का निरीक्षण करने की सुझाव दी जा रही है। इससे किसानों को सही तकनीकों का प्रयोग करने में मदद मिलेगी।

परिणाम

अधिक पैदावार

उन्नत बीजों और तकनीकी सहायता के प्रयोग से किसानों को अधिक पैदावार की संभावना है।

किसानों की आमदनी में वृद्धि

बेहतर प्रदर्शन के कारण किसानों की आमदनी में भी वृद्धि होने की संभावना है।

सरसों की उत्तम खेती तकनीक और उन्नत बीजों का प्रयोग करके, किसानों को अधिक पैदावार और अधिक आमदनी की संभावना है। कृषि विज्ञान केंद्र, भीलवाड़ा के प्रयासों से किसानों को बेहतर खेती तकनीकों और सहायता प्राप्त करने में मदद मिल रही है।

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