कपास की खेती में किसान इन बातों का रख लें ध्यान! गारंटी के साथ होगा डबल मुनाफा

कपास की खेती में किसान इन बातों का रख लें ध्यान! गारंटी के साथ होगा डबल मुनाफा
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कपास की खेती में किसान इन बातों का रख लें ध्यान! गारंटी के साथ होगा डबल मुनाफा

खेत खजाना: नई दिल्ली, किसान भाइयों फिलहाल रबी की फसलों का अंतिम पड़ाव चल रहा है । ऐसे में किसानों ने अपनी सरसों की फसल की हार्वेस्टिंग कर अपना भंडारण कर लिया है । तो वहीं कुछ क्षेत्रों में गेंहू की हार्वेस्टिंग हो चुकी है और हिस्सों में अभी होने वाली है । गेंहू कटाई बढ़ाई बाद जो कसान कपास की खेती करना चाहते है उनके लिए आज का यह लेख बहुत ही आवश्यक है ।

किसान भाइयों जैसा की आप सभी जानते है कि पिछली बार कपास की खेती में गुलाबी सूँडी के कारण किसानों को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था । इस नुकसान की वजह से खासकर वो किसान जिनके पास अपनी खुद जमीन नहीं थी और लीज लेकर कपास की खेती की थी वो किसान अभी तक सही तरीके अपने आप को संभाल नहीं पाए है । ऐसे में इस भी बार किसानों को डर है की कही दोबारा कपास की खेती में सूँडी का अटैक न हो जाए या किसी प्रकार की कोई समस्या उत्पन्न न हो । इसके लिए किसान भाइयों आपको कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है ।

किसानों को कपास कई खेती के साथ सोयाबीन और गेहूं व आधुन‍िक खेती के गुर कृषि विभाग द्वारा समय समय पर कैंप व अन्य कार्यक्रम आयोजित कर स‍िखाए जाते है । भारत में क‍िसान बड़े पैमाने पर कपास की खेती करते है । क‍िसान भी अपनी आय को बढ़ाने के लिए नई तकनीक व आधुनिक कृषि यंत्रों के साथ कपास की खेती में आधुन‍िक तकनीक का भी इस्तेमाल कर रहे है ।

कपास की खेती को बढ़ावा देने के लिए खंडवा ज‍िले में कपास की हाई डेंस‍िटी (उच्च घनत्व) (High Density Planting Technique) पौधरोपण तकनीक पर कार्यशाला का आयोजन क‍िया गया । ज‍िसमें कपास उत्पादन में वृद्धि के ल‍िए उच्च घनत्व पौधरोपण तकनीक एवं मार्केट‍िंग पर पर क‍िसानों को जानकारी दी गई । कैसे हाई डेंस‍िटी पौधरोपण तकनीक (High Density Planting Technique) से उत्पादन बढ़ जाता है और क‍िसानों को फायदा म‍िलता है । यह कार्यक्रम मध्यप्रदेश के कलेक्टर अनूप कुमार सिंह के नेतृत्व में किया गया ।

कृष‍ि वैज्ञान‍िक डॉ. डीके श्रीवास्तव ने बताया क‍ि परम्परागत रूप से की जा रही खेती में कपास फसल को कतार से कतार की दूरी 90 से 100 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी रखी जाती है, जिसमें पौधों की संख्या 10 हजार से 20370 पौधे प्रति हेक्टेयर आती है. उन्होंने बताया कि उच्च घनत्व पौधरोपण तकनीक में कतार से कतार की दूरी 90 सेमी तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से 15 सेमी रखी जाती है, जिसमें पौधों की संख्या लगभग 75,925 से 1,12,962 पौधे प्रति हेक्टेयर आती है. इसल‍िए जिसमें परम्परागत रूप से की जाने वाली खेती की तुलना में उच्च घनत्व पौधरोपण तकनीक से 25 से 30 प्रतिशत अधिक उत्पादन प्राप्त होता है.

जैविक कपास उत्पादन की दी जानकारी

डॉ. श्रीवास्तव ने कार्यशाला में उपस्थित क‍िसानों एवं अन्य सदस्यों द्वारा तकनीक से संबंधित सभी सवालों के जवाब द‍िए. संयुक्त संचालक ,संचालनालय किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग, श्री जी. एस. चौहान द्वारा कार्यशाला में उपस्थित कृषकों को जैविक कपास तकनीक से कपास उत्पादन करने वाले किसानों को जैविक प्रमाणीकरण हेतु लगने वाले शुल्क में 80 प्रतिशत छूट की सुविधा तथा लागत 3 वर्ष तक जैविक कपास उत्पादन करने वाले किसानों को 2000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष विभाग के माध्यम से सुविधा दिलाए जाने का आश्वासन भी दिया गया.

कौन -कौन थे उपस्थित

अंत में कलेक्टर सिंह ने जिले में कपास उत्पादन में वृद्धि हेतु आवश्यक कदम उठाये जाने एवं जैविक उत्पाद का विभागीय अमले द्वारा कृषकों में प्रचार प्रसार कराये जाने के निर्देश उप संचालक कृषि को दिए. कार्यशाला में अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय खंडवा डॉ. डी. एच. रनाडे, संयुक्त संचालक, इंदौर ,आलोक कुमार मीणा, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. डी.के. वाणी, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. डी.के. श्रीवास्तव, उप संचालक कृषि, परियोजना संचालक आत्मा उपस्थित थे.

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