किसान सरसों की देसी किस्मों को छोड़ बोये पूसा की ये खास वैरायटी, दाना मोटा होने के कारण आम सरसों से 3 गुना ज्यादा तेल का होगा उत्पादन

किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के इलाकों में ज़्यादा उगाई जाती है। फसल 130 से 140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

किसान सरसों की देसी किस्मों को छोड़ बोये पूसा की ये खास वैरायटी, दाना मोटा होने के कारण आम सरसों से 3 गुना ज्यादा तेल का होगा उत्पादन
X

किसान सरसों की देसी किस्मों को छोड़ बोये पूसा की ये खास वैरायटी, दाना मोटा होने के कारण आम सरसों से 3 गुना ज्यादा तेल का होगा उत्पादन

भारतीय किसान, जिनका आधी से अधिक आजीविका स्रोत कृषि से जुड़ा हुआ है, अब अधिकतम लाभ प्रदान करने वाली उन्नत किस्मों की ओर बढ़ रहे हैं। सरकार के सहयोग से, वे नए तरीकों से अपने कृषि उत्पादन को सुधार रहे हैं। इसी मार्ग में, पूसा सरसों-32 नामक नई उन्नत किस्म का परिचय हो रहा है, जो उन्नत तेल उत्पादन के साथ-साथ किसानों के लिए आजीविका में सुधार लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पूसा सरसों-32: विशेषताएं और फायदे

1. कम एसिड की मात्रा: पूसा सरसों-32 में अनुपम गुणवत्ता के साथ कम एसिड सामग्री पाई जाती है, जिससे यह हृदय रोगों को कम करने में मदद करता है।

2. अधिक उत्पादन: इस उन्नत किस्म के चयन से, किसान अपने उत्पादन को लगभग 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बढ़ा सकते हैं, जो उनके लिए अधिक मुनाफा सुनिश्चित कर सकता है।

3. कमाई बढ़ेगी: पूसा सरसों-32 की खेती से किसानों को प्रति हेक्टेयर लगभग 1.16 लाख रुपये की कमाई हो सकती है, जिससे वे पारंपरिक सरसों की खेती के मुकाबले अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं।

4. बेहतर तेल गुणवत्ता: पूसा सरसों-32 के बीजों से निकाले गए तेल में कम झाग बनते हैं, जिससे उत्पन्न होने वाला तेल बेहतर गुणवत्ता वाला होता है।

5. पशु आहार के लिए सुरक्षित: पूसा सरसों-32 को ग्लूकोसाइनोलेट सामग्री की कम मात्रा के साथ विपरीत जानवरों के लिए पशु आहार के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जो उनके पालन-पोषण की दिशा में एक सुरक्षित विकल्प प्रदान कर सकता है।

6. तेजी से पकने वाली सरसो: पूसा सरसों-32 अद्वितीय तेजी से पकने वाली किस्म है, जो किसानों को उनकी मेहनत का त्वरित फल प्रदान करती है।

राज विजय सरसों-2 – सरसों की ये किस्म मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के इलाकों के लिए उपयुक्त है। फसल 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है।अक्टूबर में बुवाई करने पर 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है। इसमें तेल की मात्रा 37 से 40 प्रतिशत तक होती है।

पूसा सरसों 27 – इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र, पूसा, दिल्ली ने विकसित किया है। ये किस्म अगेती बुवाई के लिए भी उपयुक्त है यानी तय महीनों से पहले भी इस किस्म की खेती किसान कर सकते हैं। फसल 125 से 140 दिनों में पककर तैयार होती है। इसमें तेल की मात्रा 38 से 45 प्रतिशत तक होती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 14 से 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।

पूसा बोल्ड – ये किस्म राजस्थान, गुजरात, दिल्ली और महाराष्ट्र के इलाकों में ज़्यादा उगाई जाती है। फसल 130 से 140 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की उत्पादन क्षमता 18 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर रहती है। इसमें तेल की मात्रा लगभग 42 प्रतिशत तक होती है।

इस प्रयास से उम्मीद है कि पूसा सरसों-32 की नई उन्नत किस्म की खेती से किसान अगले रबी सीजन में तीन गुना मुनाफा कमा सकेंगे, जो उनके आर्थिक दृष्टिकोण से भी मदद करेगा। यह एक नए दौर की शुरुआत है, जो भारतीय किसानों के लिए अधिकतम लाभ प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।

Tags:
Next Story
Share it