किसान की डेढ़ एकड़ में खड़ी उड़द की फसल सूखे से हुई पूरी तरह बर्बाद, सदमा सहन नहीं हुआ, तो लगा ली फांसी

प्रीतम अहिरवार ने सवा एकड़ भूमि पर उड़द की फसल लगाई थी, लेकिन सूखे के कारण उनकी मेहनत बेकार हो गई.

किसान की डेढ़ एकड़ में खड़ी उड़द की फसल सूखे से हुई पूरी तरह बर्बाद, सदमा सहन नहीं हुआ, तो लगा ली फांसी
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किसान की डेढ़ एकड़ में खड़ी उड़द की फसल सूखे से हुई पूरी तरह बर्बाद, सदमा सहन नहीं हुआ, तो लगा ली फांसी

उत्तर प्रदेश, भारत की सबसे बड़ी राज्यों में से एक है, जो अपने कृषि और किसानों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश के ललितपुर और कानपुर देहात जिलों में किसानों की आत्महत्या की खबरें आई हैं, जिसमें उनके आर्थिक संकट और खेती के संकट का परिणाम दिख रहा है।

यहाँ, हम उत्तर प्रदेश के किसानों के सामने आए संकटों को गहराई से समझने का प्रयास करेंगे।

सूखे की चुनौती: बुंदेलखंड के किसानों की किस्मत

खेती के लिए मौसम का महत्वपूर्ण अंश होता है, और सूखे का मुद्दा उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। बुंदेलखंड क्षेत्र में हुई बारिश की कमी ने किसानों की खेती को प्रभावित किया है, जिससे उनकी फसलों को सूखा का सामना करना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में हाल ही में एक दुखद समाचार सामने आया है जिसमें एक युवा किसान प्रीतम अहिरवार ने अपने जीवन को खत्म कर लिया. उन्होंने फसल के खराब होने के चलते आत्महत्या का पथ चुना. यह एक और मामला है जो किसानों की मशक्कतों को प्रकट करता है और आम जनता को यह याद दिलाता है कि हमारे किसानों की समस्याएं अब भी दूर नहीं हुई हैं.

खराब फसल और आत्महत्या का दर्द

प्रीतम अहिरवार ने सवा एकड़ भूमि पर उड़द की फसल लगाई थी, लेकिन सूखे के कारण उनकी मेहनत बेकार हो गई. उनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई और उन्हें इस समस्या का सामना करना पड़ा. अपनी असमर्थता और आत्महत्या के सिरे से वे गुजर गए.

किसानों की समस्याएं और समाज

किसानों की समस्याएं अब भी हमारे समाज की एक बड़ी समस्या बनी हुई हैं. बदलते मौसम पैटर्न, असमान खाद्य संसाधनों का उपयोग, बढ़ती जनसंख्या, और अन्य कई कारणों से किसानों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इसके परिणामस्वरूप, कई किसान आत्महत्या के रास्ते पर चल रहे हैं.

सुसाइड नोट में बताई वजह

किसान ने PM मोदी और CM योगी को संबोधित करते हुए एक सुसाइड नोट भी लिखा था. सुसाइड नोट में किसान ने बताया कि फसल खराब होने के बाद भी लेखपाल ने नुकसान का सर्वे तक नहीं किया था जिसके चलते उन्हें मुआवजा तक नहीं मिला था. परिजनों ने बताया कि चंद्रपाल ने कर्ज चुकाने के लिए एक बीघे खेत को ₹60000 पर गिरवी भी रखा था

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