किसानों की गेहूं-सरसों भीगी, दो दिन और रहेगा खतरा, इन पांच जिलों में ज्यादा नुकसान होने की संभावना, ओलावृष्टि की भी संभावना

किसानों की गेहूं-सरसों भीगी, दो दिन और रहेगा खतरा, इन पांच जिलों में ज्यादा नुकसान होने की संभावना, ओलावृष्टि की भी संभावना
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किसानों की गेहूं-सरसों भीगी, दो दिन और रहेगा खतरा, इन पांच जिलों में ज्यादा नुकसान होने की संभावना, ओलावृष्टि की भी संभावना

खेत खजाना : हरियाणा में बदलते मौसम ने किसानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। नए पश्चिमी विक्षोभ के चलते रोहतक सहित पांच जिलों में आंधी और वर्षा ने खुले में पड़े लाखों टन गेहूं और सरसों को भिगो दिया है। चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के अनुसार, आने वाले दो दिनों तक मौसम में परिवर्तनशीलता रहेगी, जिससे खेतों में खड़ी फसल और मंडियों में रखी फसल के खराब होने का खतरा बना हुआ है।

मंडियों में अनाज की आवक और उठान में असंतुलन के कारण किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। अभी तक मंडियों में 6 लाख 60 हजार टन सरसों की आवक हुई है, जिसमें से केवल 5 लाख 15 हजार टन की खरीद हो पाई है। इसी तरह, 12 लाख टन गेहूं की आवक के मुकाबले केवल साढ़े सात लाख टन की खरीद हुई है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 13 से 15 तारीख तक हरियाणा में मौसम में बदलाव की संभावना जताई थी, जिसके चलते हिसार सहित कई जिलों में हल्की वर्षा हुई है। इस वर्षा से गेहूं की फसल पर दाना बना हुआ है और हवा चलने से फसल की बाली गिरने का डर बना हुआ है।

हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग का आरोप है कि सरकारी खरीद न होने के कारण किसानों को अपनी सरसों 4600 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल तक बेचनी पड़ रही है, जबकि एमएसपी 5650 रुपये प्रति क्विंटल है। इसके अलावा, गेहूं खरीद में भी जानबूझकर देरी की जा रही है।

शनिवार दोपहर को हुई वर्षा से मंडियों में लाखों टन गेहूं और सरसों को भारी नुकसान हुआ है। वर्षा से बचाव के लिए तिरपाल इत्यादि के फिलहाल कोई विशेष इंतजाम नहीं किए गए थे, जिससे किसानों को अपने स्तर पर अन्न की क्वाने के लिए तिरपाल लेकर दौड़ना पड़ा।

आज के मौसम के लिए ओरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जिसमें यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जीद सहित कई जिले शामिल हैं। इसके अलावा, खली अलर्ट भी जारी किया गया है, जिसमें चरखी दादरी, भिवानी, पानीपत, सोनीपत, रोहतक, फरीदाबाद, पलवल, महेंद्रगढ़, करनाल, कैचल, अंबाला, पंचकूला जैसे जिले शामिल हैं।

किसानों और व्यापारियों को उम्मीद है कि सरकार और संबंधित विभाग जल्द ही इस स्थिति पर ध्यान देंगे और उचित कदम उठाएंगे ताकि फसलों को बचाया जा सके और किसानों को उनकी मेहनत का सही मूल्य मिल सके।

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