60 दिन में ही किसान हो जाएंगे मालामाल! सही समय पर बिजाइ कर दिया तो होगा 4 गुना मुनाफा

60 दिन में ही किसान हो जाएंगे मालामाल! सही समय पर बिजाइ कर दिया तो होगा 4 गुना मुनाफा
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60 दिन में ही किसान हो जाएंगे मालामाल! सही समय पर बिजाइ कर दिया तो होगा 4 गुना मुनाफा

खेत खजाना, नई दिल्ली, अगर आप भी एक किसान हैं और अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं, तो मूंग की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। मूंग एक ऐसी फसल है, जो जल्दी पकती है, कम खर्च में उगाई जाती है और अच्छा मुनाफा देती है। मूंग की खेती से आप 60 दिन में ही लखपति बन सकते हैं। आइए जानते हैं कि मूंग की खेती कैसे करें और किन बातों का ध्यान रखें।

मूंग की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

मूंग की खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है। इसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। भूमि का pH मान 6 से 7.5 के बीच होना चाहिए। मूंग की खेती खरीफ और रबी दोनों मौसम में की जा सकती है। मूंग को गर्मी और सूखे का सहनशीलता होता है। इसके लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त होता है।

मूंग की खेती के लिए बीज चुनाव और बुवाई

मूंग की खेती के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए। इससे फसल का उत्पादन और गुणवत्ता बढ़ती है। कुछ प्रमुख उन्नत किस्में हैं- आरएमजी-62, आरएमजी-344, पूसा विशाल, साबरमती, समृति, आरएमजी-492, आरएमजी-668 आदि। बीज की बुवाई से पहले बीज उपचार करना चाहिए। इससे बीज की अंकुरण शक्ति बढ़ती है और रोगों और कीटों से बचाव होता है। बीज उपचार के लिए शाल, करबेंडाजिम, थायराम आदि दवाओं का प्रयोग किया जा सकता है। बीज की बुवाई 15 मार्च से 10 अप्रैल के बीच करनी चाहिए। बीज की मात्रा 10 किलो प्रति एकड़ और 25 किलो प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए। बीज की गहराई 3 से 4 सेमी होनी चाहिए। बीज की बुवाई ड्रिल मशीन या बीज बांटने वाली मशीन से करनी चाहिए।

मूंग की खेती के लिए खाद और कीटनाशक

मूंग की खेती के लिए खाद का प्रयोग कम करना चाहिए। मूंग एक दलहनी फसल होने के कारण वायुमण्डल की नाइट्रोजन को भूमि में जमा करती है। इसलिए इसे नाइट्रोजन युक्त खाद की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए फसल के शुरू में 20 किलो प्रति एकड़ फॉस्फोरस और 10 किलो प्रति एकड़ पोटाश की खाद देनी चाहिए। इसके अलावा जैविक खाद जैसे गोबर की खाद, वर्मीकंपोस्ट, नीम केक आदि का भी प्रयोग करना चाहिए। मूंग की फसल में कुछ कीट और रोग हो सकते हैं। जैसे फल छेदक, फली बोर, फली झुलसा, पीली चित्ती, बैक्टीरियल ब्लाइट आदि। इनसे बचाव के लिए उचित समय पर कीटनाशक और रोगनाशक का छिड़काव करना चाहिए।

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