पट्टे की जमीन पर किसानों को मिलेगा अधिकार, पीड़ित किसान को चिह्नित कर कब्जा दिलाया जाएगा

पट्टे की जमीन पर किसानों को मिलेगा अधिकार, पीड़ित किसान को चिह्नित कर कब्जा दिलाया जाएगा
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पट्टे की जमीन पर किसानों को मिलेगा अधिकार, पीड़ित किसान को चिह्नित कर कब्जा दिलाया जाएगा

खेत खजाना : लखनऊ के कुछ किसानों को पट्टे के तहत मरघट की जमीन मिली थी, जिस पर वे खेती कर रहे थे। लेकिन हाल ही में लेखपाल ने उन्हें उस जमीन से हटाने की धमकी दी। इससे किसानों को आर्थिक और मानसिक परेशानी हुई। उन्होंने अपने अधिकार के लिए तहसील प्रशासन से शिकायत की। इस पर जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया।

पट्टे की जमीन का इतिहास

यह मामला 13 साल पुराना है, जब मीजल्स के टीके के कारण कुछ बच्चों की मौत हो गई थी। उनके परिवारों को तहसील प्रशासन ने मरहम लगाने के लिए पट्टे की जमीन दी थी। उनके पास उस जमीन का पट्टा भी है। वे उस जमीन पर खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे थे। लेकिन अब लेखपाल ने उन्हें बताया कि वह जमीन मरघट की है और उन्हें वहां से हट जाना होगा।

प्रशासन का रुख

जब किसानों ने अपनी बात जिला प्रशासन तक पहुंचाई, तो डीएम सूर्य पाल गंगवार ने इसका संज्ञान लिया। उन्होंने एसडीएम मोहनलालगंज को जांच के लिए निर्देशित किया। एसडीएम बृजेश कुमार ने दस्तावेजों की जांच करने के बाद पता लगाया कि पट्टे की जमीन वास्तव में मरघट की है। लेकिन उन्होंने भी कहा कि पीड़ितों को पट्टा स्वीकृत है और वे उस जमीन पर काबिज हैं। इसलिए, उन्हें उस जमीन से नहीं हटाया जा सकता है।

किसानों को मिलेगा अधिकार

एसडीएम ने बताया कि वे राजस्व टीम के साथ 12 फरवरी को उस जमीन पर जाएंगे और उसे चिह्नित करेंगे। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसानों को उनकी जमीन पर पूरा अधिकार दिलाना है। उन्होंने किसानों से आश्वासन दिया कि उनकी जमीन नहीं छिनी जाएगी और वे उस पर खेती करते रहेंगे। उन्होंने लेखपाल की कार्रवाई को गलत बताया और कहा कि उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इस प्रकार, जिला प्रशासन ने किसानों की समस्या को हल करने के लिए तेजी से काम किया है। इससे किसानों को राहत मिली है और उनका विश्वास बढ़ा है। यह एक अच्छा उदाहरण है कि कैसे प्रशासन और किसानों के बीच समन्वय बनाकर आर्थिक और सामाजिक विकास किया जा सकता है।

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