मूंगफली में फैल रहे जड़ गलन रोग से किसान चिंतित, जानिए कैसे पाएं इस रोग पर काबू

यह रोग उत्पन्न होने पर फसल की पैदावार में 5% तक की कमी ला सकता है और फफूंद की मात्रा 40% तक कम कर सकता है

मूंगफली में फैल रहे जड़ गलन रोग से किसान चिंतित, जानिए कैसे पाएं इस रोग पर काबू
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मूंगफली में फैल रहे जड़ गलन रोग से किसान चिंतित, जानिए कैसे पाएं इस रोग पर काबू

जड़ गलन रोग, जिसे कॉलर रॉट भी कहा जाता है, मूंगफली की फसल के लिए एक खतरनाक समस्या है। यह रोग उत्पन्न होने पर फसल की पैदावार में 5% तक की कमी ला सकता है और फफूंद की मात्रा 40% तक कम कर सकता है। इसके फफूंद कई सालों तक मिट्टी में जीवित रह सकते हैं।

लक्षणों की पहचान

जड़ गलन रोग के लक्षण दो चरणों में विभाजित होते हैं:

1. अंकुरण से पहले:

प्रभावित बीज पर काले रंग के चूर्ण की तरह पदार्थ दिखाई देते हैं।

इससे बीज नष्ट हो जाते हैं।

2. अंकुरण के बाद:

प्रभावित पौधों के तने के निचले हिस्से पर हल्के भूरे गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं।

ये धब्बे समय के साथ पौधों के ऊपरी भाग में फैल जाते हैं।

पौधों पर सफेद रंग के फफूंद के जाल दिखाई देते हैं।

कुछ समय बाद पौधे गल कर नष्ट हो जाते हैं।

जड़ गलन रोग के नियंत्रण के उपाय

फसल चक्र अपनाएं: फसल चक्र का पालन करके रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है।

बीज का चयन: बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें, जिनमें से रोग से प्रभावित नहीं हो।

बुआई का सही तरीका: बीज की बुआई करते समय दूरी का विशेष ध्यान दें, ताकि फफूंद प्लांट तक नहीं पहुंच सकें।

जल निकासी की व्यवस्था: खेत में जल जमाव की समस्या से बचने के लिए जल निकासी का सही तरीका अपनाएं।

खरपतवार का नियंत्रण: खेत और मेढ़ों में उगने वाली घास या खरपतवार का नियंत्रण सही समय पर करें।

फफूंदनाशक का इस्तेमाल: आवश्यकता पर कृषि विशेषज्ञ की सलाह के बाद कार्बेन्डाजिम या कॉपर ऑक्सी क्लोराइड जैसे सिस्टमिक फफूंदनाशक का इस्तेमाल करें।

ट्राईकोडर्मा विरिडी का प्रयोग: ट्राईकोडर्मा विरिडी को फसल में लगाने से रोग का प्रबंधन किया जा सकता है।

इन उपायों का पालन करके, मूंगफली की फसल में जड़ गलन रोग को नियंत्रित किया जा सकता है और उचित पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

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