तकनीक से की गई खेती हमेशा मार्जन देती है! यूपी के किसान इस तकनीक से कर रहे है लाखों मे कमाई

तकनीक से की गई खेती हमेशा मार्जन देती है! यूपी के किसान इस तकनीक से कर रहे है लाखों मे कमाई
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तकनीक से की गई खेती हमेशा मार्जन देती है! यूपी के किसान इस तकनीक से कर रहे है लाखों मे कमाई

खेत खजाना : आईपीएम विधि से सब्जियों की खेती बाराबंकी: उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में कुछ किसानों ने आईपीएम (Integrated Pest Management) विधि का प्रयोग करके सब्जियों की खेती करना शुरू किया है. इस विधि में कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग नहीं किया जाता है, बल्कि कीटों को रोकने के लिए विभिन्न रंगों की स्टिकी ट्रैप, लाइट ट्रैप और स्पाइन बुश जैसे प्राकृतिक उपायों का इस्तेमाल किया जाता है. इससे सब्जियां जहरीली नहीं होती हैं और उनकी गुणवत्ता भी बढ़ जाती है. इसके अलावा, इस विधि से खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा भी मिलता है, क्योंकि इन सब्जियों की मंडियों में ज्यादा मांग रहती है.

युवा किसानों की सफलता की कहानी बाराबंकी जिले के माती गांव के रहने वाले युवा किसान आशीष वर्मा ने आईपीएम विधि से शुरुआत की थी. उन्होंने अपने आधे एकड़ खेत में जैविक खाद का प्रयोग करके शिमला मिर्च, ब्रोकली, कददू, टमाटर, बींस आदि सब्जियां उगाईं. उन्हें इन सब्जियों की पैदावार में काफी इजाफा हुआ और उन्हें इनकी बेहतरीन कीमत भी मिली. आज वह अपने 4 एकड़ खेत में आईपीएम विधि से सब्जियों की खेती कर रहे हैं और प्रतिवर्ष लाखों रुपए की आय प्राप्त कर रहे हैं. उनकी सफलता की कहानी ने उनके गांव के अन्य किसानों को भी प्रेरित किया है और वे भी अब आईपीएम विधि से सब्जियों की खेती करने लगे हैं.

आईपीएम विधि के फायदे आईपीएम विधि के अनुसार, कीटों को रोकने के लिए विभिन्न रंगों की स्टिकी ट्रैप, लाइट ट्रैप और स्पाइन बुश जैसे प्राकृतिक उपायों का इस्तेमाल किया जाता है. इन उपायों से कीटों को आकर्षित करके उन्हें फंसाया जाता है और उनका नियंत्रण किया जाता है. इससे कीटनाशक दवाइयों का प्रयोग नहीं करना पड़ता है, जो कि फसलों को जहरीली बनाती हैं और उनकी गुणवत्ता को खराब करती हैं. इसके अलावा, इन उपायों से खेती की लागत भी कम होती है, क्योंकि इनकी कीमत बहुत कम होती है. इसके फायदे को देखते हुए, कृषि विभाग ने भी आईपीएम विधि को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम चलाए हैं और किसानों को इसके बारे में जानकारी दी है.

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