ससुर-बहू ने किया कमाल, लीज पर जमीन लेकर शुरू की खेती, इस तकनीक से कमा रही है लाखों रुपए

ससुर-बहू ने किया कमाल, लीज पर जमीन लेकर शुरू की खेती, इस तकनीक से कमा रही है लाखों रुपए
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5G के जमाने में, मोबाइल वितरण ने खेती क्षेत्र में नई उम्मीदें पैदा की हैं, खासकर महिला किसानों के लिए। इस तकनीकी युग में, मोबाइल ने महिला किसानों को नई और सुगम माध्यमों से खेती करने का अवसर प्रदान किया है। बिहार के बेगूसराय में रहने वाली रवीना देवी ने इस तकनीक का सही उपयोग करके अपनी खेती को मोबाइल से नेतृत्व करने में सफलता प्राप्त की हैं, जिसमें उन्हें ससुर रामपुकार सदा ने सहायता की है। इस साथीपन में, रवीना देवी ने मोबाइल तकनीक का सही उपयोग करके खेती में उन्नति और कमाई का स्रोत बनाया है।

आधुनिकता के इस दौर में जहां संयुक्त परिवार, एकल परिवार में बदलते जा रहा है तो सीमांत किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसके विपरीत बेगूसराय जिला मुख्यालय से 37 किमी दूर डंडारी प्रखंड अंतर्गत तेतरी वार्ड संख्या- 01 की रहने वाले काजल कुमार सदा की पत्नी रवीना देवी ने संयुक्त परिवार की अहमियत को समझा और परिवार को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की ठान ली.

खेती के जरिए बनाई अपनी अलग पहचान

जून 2021 में, रवीना ने मोबाइल देख रही थीं जब उन्होंने बैगन की खेती करने का वीडियो देखा और इससे होने वाली आमदनी को समझा। उन्होंने तय किया कि वह भी इसमें शामिल होंगी। ससुर रामपुकार सदा को सभी तकनीकी और वित्तीय मदद करने का भरोसा दिया और उन्होंने बैगन की खेती में योजना बनाई।

ससुर की मदद के साथ, रवीना ने बैगन की खेती शुरू की और जल्दी ही उनका उत्पादन बेहतर होने लगा। आज, ससुर-बहु की खेती की जोड़ी जिले में मशहूर है और इससे प्रेरित होकर दूसरे किसानों को भी उनकी तरह सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित कर रही है।

हर माह 50 हजार तक की हो जाती है कमाई

रवीना देवी ने बताया कि उन्होंने जीविका से 35 हजार कर्ज लेकर ससुर के सहयोग से साहूकारों से तीन बीघा जमीन 15 हज़ार सालाना देकर लीज पर लिया। इसके बाद, उन्होंने 2 रुपए प्रति पौधे की दर से 13 हजार 240 रुपए के बैगन के पौधे खरीद कर खेती शुरू की।

रवीना ने बताया कि हर 8वें दिन उनके खेत से 15 से 20 हजार से अधिक का बैगन निकल रहा है और यह बाजार में बेचा जा रहा है। खेत को तीन हिस्सों में बांट दिया गया है ताकि सिंचाई और प्रबंधन में कोई परेशानी ना हो। वे हर महीने लगभग 60 हजार के बैगन का उत्पादन करती हैं, जिसमें लागत 25 से 30 हजार है और हर माह 50 हजार का शुद्ध मुनाफा होता है।

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