बाहरी देश भी अपने पशुओं को खिलाएंगे खल और बिनोला, मांग हुई दुगनी, भारत में भी बढ़ सकते हैं रेट

भारत से ऑयलमील आयात करने वाले देशों में दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश ने बड़े पैमाने पर ऑयलमील खरीदा है।

बाहरी देश भी अपने पशुओं को खिलाएंगे खल और बिनोला, मांग हुई दुगनी, भारत में भी बढ़ सकते हैं रेट
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बाहरी देश भी अपने पशुओं को खिलाएंगे खल और बिनोला, मांग हुई दुगनी, भारत में भी बढ़ सकते हैं रेट

भारतीय खली की बढ़ती मांग ने ऑयलमील के निर्यात को एक नई ऊंचाई दिलाई है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार, इस वित्त वर्ष में ऑयलमील का निर्यात 45 लाख टन से ऊपर जा सकता है, जो एक प्रभावी बाजार प्रवेश का संकेत है।

खली का उपयोग

तिलहन उपज से तेल निकालने के बाद बचने वाले पदार्थ, ऑयलमील, जो खली कहा जाता है, भारतीय पशुओं और पोल्ट्री को खिलाने के लिए एक बेहतरीन प्रोटीन स्रोत है।

बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड जैसे देशों में भारतीय खली की मांग में वृद्धि होने से आंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती क्षमता है।

एसईए के दृष्टिकोण से अनुमान

सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अनुसार, इस वित्त वर्ष में ऑयलमील निर्यात 45 लाख टन से ऊपर जा सकता है, जिसमें रेपसीड मील 25 लाख टन और सोयाबीन मील 15 लाख टन होगा। यह शिपमेंट की तेजी में वृद्धि का संकेत है।

भारत को अर्जेंटीना का फायदा

दुनियाभर के देशों से कम आपूर्ति का भारत को लाभ हो रहा है, विशेषकर ऑयलमील के मामले में। भारत से ऑयलमील आयात करने वाले देशों में दक्षिण कोरिया, वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश ने बड़े पैमाने पर ऑयलमील खरीदा है।


भारतीय खली से निकलने वाली ऑयलमील की बढ़ती मांग ने विश्व बाजार में भारत को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है। स्थिर उत्पादन और आंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार, यह संभावना है कि इस वर्ष 45 लाख टन से अधिक ऑयलमील निर्यात कर सकता है, जो बाजार में एक नई ऊंचाई की ओर एक बड़ा कदम है।

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