गिनी घास की खेती कैसे करें ! Gini ghas ki kheti kaise kare
पशुपालन का अभ्यास देशभर में प्राचीन समय से ही हो रहा है, और इसके लिए चारा बहुत महत्वपूर्ण है। गिनी घास, जिसे पैनिकम मैक्सिमम के नाम से भी जाना जाता है,
पशुपालन का अभ्यास देशभर में प्राचीन समय से ही हो रहा है, और इसके लिए चारा बहुत महत्वपूर्ण है। गिनी घास, जिसे पैनिकम मैक्सिमम के नाम से भी जाना जाता है, पशुओं के लिए एक उत्कृष्ट चारा विकल्प है जो कम पानी में भी अच्छा उत्पादन करता है। इसके बोने जाने पर यह पांच साल तक पशुओं के लिए पौष्टिकता का स्रोत बन सकता है।
गिनी घास के फायदे:
पौष्टिकता का स्रोत: गिनी घास पशुओं के लिए उच्च पोषण मूल्य वाली चारा फसल है। इसमें मौजूद पोषक तत्व पशुओं को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
कम पानी में उत्पादन: गिनी घास का विशेषता यह है कि यह कम पानी में भी अच्छा उत्पादन कर सकती है। यह असुरक्षित वर्षा क्षेत्रों में भी उपयुक्त है।
दूध उत्पादन को बढ़ावा: गिनी घास पशुओं के दूध उत्पादन को बढ़ावा देने में भी मदद करती है। इसके खाने से पशुओं का दूध बढ़ता है और उनकी सेहत भी बेहतर रहती है।
वातावरण में अनुकूलनशीलता: गिनी घास की एक विशेषता यह है कि यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी और वातावरण के साथ अनुकूलनशील होती है। यह विभिन्न प्रकार की मिट्टी में भी अच्छे से उग सकती है।
किसानों के लिए सुझाव:
बोने समय: गिनी घास की बुआई को मार्च से जून के बीच करने से पांच साल तक आपके पशुओं के लिए चारा उपलब्ध रहेगा।
सिंचाई का समय: आपके पास सिंचाई की सुविधा होने पर गर्मियों में सिंचाई करने से बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
उपयुक्त खाद: गिनी घास की उच्च पैदावार के लिए सड़ी हुई गोबर और खाद का उपयोग करें।