इस विधि से करें धान की खेती, नहीं करना पड़ेगा बारिश का इंतजार!

धान की खेती में डायरेक्ट सोइंग विधि का उपयोग:

पूर्वी चम्पारण के किसान दुर्गा सिंह ने जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचाव के लिए एक अनोखी तकनीक, डायरेक्ट सोइंग विधि, का सफलतापूर्वक उपयोग किया है। उन्होंने बिना रोपाई के ही धान की बुआई की है और इसके परिणामस्वरूप अपने खेत की स्थिति को सुधारने में कामयाब रहे हैं।

डायरेक्ट सोइंग विधि के फायदे:

इस तकनीक में बिना रोपाई के ही बुआई की जाती है, जिससे किसानों को समय और मेहनत की बचत होती है।

पानी की कमी की स्थिति में भी फसल की स्थिति अच्छी रहती है, क्योंकि यह तकनीक पानी की बचत करने में मदद करती है।

कृषि विज्ञान केंद्रों की देखरेख में डायरेक्ट सोइंग विधि का संचालन किया जा रहा है, जिससे किसानों को नवाचारिक तकनीकों का प्राधिकृत उपयोग हो सके।

जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचाव के लिए किसानों को नवाचारिक और सुरक्षित तरीकों का प्रयोग करना आवश्यक है। डायरेक्ट सोइंग विधि इस मामले में एक उत्तम विकल्प साबित हो सकती है, जो बारिश की कमी के समय में भी पूरी तरह से कामयाब हो सकती है।

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