सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस के इस्तेमाल पर लगाई रोक

फैसला लागू, चीनी की कीमतों व भंडार को नियंत्रित करने के लिए लगाई गई पाबंदी

सरकार ने इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ने के रस के इस्तेमाल पर लगाई रोक
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नई दिल्ली। चीनी की बढ़ रही कीमतों और इसके भंडार को नियंत्रित करने के लिए बड़ा कदम उठाया गया है। सरकार ने जारी अधिसूचना में चीनी मिलों और डिस्टलरीज को गन्ने के जूस या सीरप से इथेनॉल बनाने पर रोक लगा दी है। इससे घरेलू बाजार में बनी चीनी की कमी नहीं होगी। यह फैसला चीनी कंपनियों के लिए एक बड़ा झटका है।

सूत्रों के मुताबिक, 5 दिसंबर को मंत्रियों के समूह में हुई बैठक में इस बात पर चर्चा हुई थी, लेकिन फैसला बृहस्पतिवार को हुआ। सरकार को आशंका है कि अगर इथेनॉल बनना जारी रहा तो चीनी की किल्लत हो सकती है। 2023-24 में चीनी उत्पादन घटने की वजह से चिंता बढ़ गई है। पानी की की कमी से 2024-25 के लिए महाराष्ट्र में होने वाली खेती अभी शुरू भी नहीं हुई है। पिछले साल के मुकाबले चीनी उत्पादन में 8 फीसदी कमी का अनुमान है।

2023-24 के लिए 3.37 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। चीनी की किल्लत से निपटने के लिए सरकार के पास महज तीन विकल्प थे। इसमें या तो इथेनॉल की कीमत घटा दे या फिर चीनी कंपनियां इथेनॉल की ज्यादा आपूर्ति ना कर सकें या फिर गन्ने से बनने वाले इथेनॉल पर फिलहाल रोक लगा दें। सरकार ने मिलों को बी-हैवी इथेनॉल पर कोई रोक नहीं लगाई है। स्थानीय बाजार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सरकार की ओर से यह कदम उठाया गया है। प्रमुख राज्यों कर्नाटक और महाराष्ट्र में कम बारिश से चीनी उत्पादन प्रभावित हो सकता है। इसलिए, सरकार पर्याप्त चीनी उपलब्धता सुनिश्चित करने का उपाय कर रही है। शेयरों में 8 फीसदी तक की गिरावट : सरकार के फैसले से चीनी कंपनियों के शेयरों में 8 फीसदी तक की गिरावट देखी गई। इनमें धामपुर, बलरामपुर, द्वारिकेश, रेणुका, इंद परी, बजाज

हिंदुस्तान, उत्तम, अवध और अन्य कंपनियों के शेयरों में गिरावट रही। 1,364 करोड़ की क्षमता : सरकार ने बताया कि लीटर उत्पादन देश में वर्तमान इथेनॉल उत्पादन क्षमता 1,364 करोड़ लीटर है। यह ईंधन मिश्रण लक्ष्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। तेल विपणन कंपनियों ने इथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2021-22 में 10 फीसदी और 2022-23 के दौरान 12 फीसदी इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया है।

इसलिए हुआ फैसला

कम बारिश के चलते गन्ने की फसल खराब हुई है। इससे दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक भारत ने 31 अक्तूबर तक चीनी निर्यात पर रोक लगा दी थी। इथेनॉल उत्पादन को सीमित करने से भारत में चीनी भंडार नहीं घटेगा।

30-35लाख टन चीनी के बराबर गन्ने का इथेनॉल में होता है इस्तेमाल

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