Green Fodder: महंगाई की मार से पशुपालकों को बचा सकता है ये हरा चारा, सर्दियों के लिये अभी से कर दें बुवाई

Berseem Cultivation: इस हरे चारे की बुवाई अक्टूबर से लेकर नंवबर के बीच की जाती है. एक बार बुवाई के बाद 4 से 5 बार कटाई की जा सकती है, जिससे दिसंबर से लेकर मई तक पशुओं को ताजा हरा चारा मिल जाता है.

Green Fodder: महंगाई की मार से पशुपालकों को बचा सकता है ये हरा चारा, सर्दियों के लिये अभी से कर दें बुवाई
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Green Fodder Cultivation: इस साल मौसम की मार से किसानों और पशुपालक दोनों ही परेशान हैं. जहां बैमौसम बारिश से कई फसलों में पानी भरने से भारी नुकसान हुआ है. वहीं पशुपालक भी अब लंपी रोग (Lumpy Disease) के बाद हरे चारे की मंहगाई से परेशान है. बता दें कि 9 साल बाद पशु चारे की कीमतें अपने उच्चतम स्तर पर है. पिछले चार महीनों में हरे चारे और भूसे की भारी कमी के कारण कीमतों में 20 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है. इसका सबसे बुरा असर पशुपालकों पर पड़ रहा है. ऐसी मंहगाई के दौर में पशुओं के लिये हरे चारे (Green Fodder) और भुसी का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है.

यह भविष्य के संकटों की तरफ भी इशारा करता है, इसलिये अभी से सचेत होकर हरे चारे की बुवाई (Green Fodder Cultivation) का काम शुरू कर देना चाहिये. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो यह समय बरसीम की बुवाई के लिये सबसे उपयुक्त है. ये हरा चारा सर्दियों के बीच में ही पककर तैयार हो जायेगा. इसकी एक बार बुवाई करके कई बार काटकर उत्पादन लिया जा सकता है. इस तरह दिसंबर से लेकर मई तक पशुओं को ताजा हरा चारा (Animal Fodder) खिला सकते हैं.

बरसीम की खेती

  • पशु विशेषज्ञों की मानें तो बरसीम एक बेहद पौष्टिक हरा चारा है, जो दुधारु पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन के लिये अच्छा रहता है. इसकी बुवाई रबी सीजन के दौरान अक्टूबर से लेकर नंवबर के बीच की जाती है, ताकि दिसंबर से लेकर मई तक पशुओं को चारे की आपूर्ति की जा सके. प्रति हेक्टेयर में इसकी बुवाई के लिये एक किलो बीज काफी रहते हैं.
  • पहली बार बरसीम की बिजाई करने पर 10 किलो बीज को 200 ग्राम बरसीम कल्चर की दर से उपचारित करने की सलाह दी जाती है.
  • किसान चाहें तो 4 ग्रा. ट्राइकोडर्मा से भी 1 किलोग्राम बीजों का उपचार और 5 किग्रा. ट्राइकोडर्मा से प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी का भी उपचार कर सकते हैं.
  • बरसीत की अच्छी पैदावार के लिये 20 किग्रा नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस को भी प्रति हेक्टेयर से मिट्टी में मिला दें.
  • इसके बाद खेतों में बड़ी-बड़ी क्यारियां बनाकर पानी भर दें, जिससे बुवाई के बाद समय से ही बीजों का अंकुरण हो जाये.

इस तरह करें बुवाई

  • बरसीम के बीज और मिट्टी का उपचार करने के बाद खेतों में बुवाई के लिये क्यारियां तैयार की जाती है. इसके बाद खेतों में पानी भरकर बरसीत की बीजों का छिड़काव किया जाता है.
  • खेतों में बिजाई करने के 24 घंटे के अंदर बीजों का अंकुरण होने लगता है, जिसके बाद क्यारियों से पानी को बाहर निकाल देना चाहिए.
  • बता दें कि धान की कटाई से पहले या धान की कटाई के समय भी बरसीत के बीजों का खेतों में छिड़काव कर सकते हैं.
  • इस तरह बरसीम की फसल में अलग से नाइट्रोजन का इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं रहती और समय पर चारा की पैदावार मिल जाती है.

चारा फसल की कटाई

  • बरसीम की चारा फसल (Green Fodder Cultivation) के लिये सप्ताह में 2 से 3 बार सिंचाई की जाती है. सबसे पहली सिंचाई बीजों के अंकुरण के बाद की जाती है.
  • इसके बाद करीब 20 सिंचाईयों में इसकी बढ़वार होती रहती और मई तक चारा फसल का उत्पादन मिल जाता है.
  • बता दें कि बरसीम के चारे की कुल 4 से 5 बार कटाई कर सकते हैं, जिसमें पहली फसल 45 दिन के अंदर तैयार हो जाती है.
  • बरसीम के बेहतर उत्पादन (Berseem Green Fodder) के लिये जमीन के ऊपर 6 से 8 सेमी छोड़कर कटाई की जाती है. इसके बाद चारे की बढ़वार के साथ कटाई का काम करके पशुओं के लिये ताजा हरे चारे का इंतजाम कर सकते हैं
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