नरमा उत्पादकों को भारी नुकसान, कृषि विभाग से फसल कटाई व मुआवजे का निर्णय लेगी सरकार

नरमा की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करने और मुआवजा की मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

नरमा उत्पादकों को भारी नुकसान, कृषि विभाग से फसल कटाई व मुआवजे का निर्णय लेगी सरकार
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जिले में गुलाबी सुंडी के प्रकोप से नरमा उत्पादकों को भारी क्षति हुई है। उप कृषि निदेशक डॉ. सुखदेव सिंह ने बताया कि कृषि निदेशालय ने क्रॉप कटिंग का ब्योरा मांगा है। उसी के आधार पर सरकार मुआवजा और बीमित किसानों को कंपनी क्लेम जारी करेगी। जोकि डेटा फील्ड से तलब किया है। जिसमें काफी गांवों में रकबा गुलाबी सुंडी से खासा प्रभावित है। गौरतलब है जिले में 2 लाख हेक्टेयर में नरमा था, लेकिन 64 हजार हेक्टेयर रकबा के लिए किसानों ने प्रीमियम जमा किया है। इसलिए बीमित किसानों से ज्यादा गैर बीमा किसान है। जिनको खराबे के मुआवजे की मांग है।

इधर नरमे की उत्पादक्ता में कमी, लागत बढ़ने और भाव न मिलने से किसान परेशान हैं। इसी कड़ी में अखिल भारतीय किसान सभा ने मार्केट कमेटी सचिव जयवंती कासनियां को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। जिसमें नरमा की खरीद एमएसपी पर सुनिश्चित करवाने बारे मांग की। सभा के कन्वीनर हमाजिंद्र सिंह, राजेंद्र भरोखां, सुरजीत सिंह, सतनाम धनूर, मिल्खा कंबोज ने बताया कि सभी आपका ध्यान जिला सिरसा में नरमा की खरीद में हो रही लूट और नरमा उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय की ओर दिलाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कॉटन के उत्पादन में लागत लगातार बढ़ी है। जबकि उस अनुपात में नरमा की एमएसपी नहीं मिल रही है और निर्धारित एमएसपी पर फसल की खरीद भी नहीं हो पा रही है।

सीसीआई की जिम्मेदारी बनती है कि वो समय से किसानों की कॉटन की पूरी फसल की एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित करे, ताकि मंडियों में किसानों के साथ लूट न होने पाए। उन्होंने बताया कि सिरसा में कॉटन का उत्पादन बढ़े स्तर पर होता है। निर्धारित एमएसपी न मिलने और सरकारी खरीद के सुचारू रूप से न होने के चलते यहां किसानों के साथ बड़े स्तर पर लूट हो रही है। उन्होंने मांग की कि सीटू +50 के फार्मूले के अनुसार कॉटन का दाम निर्धारित हो और सीसीआई एमएसपी पर फसल की खरीद करे। गुणवत्ता के नाम पर किसानों को परेशान न किया जाए। किसानों को कॉटन का उच्च क्वालिटी का विश्वसनीय बीज उपलब्ध करवाया जाए। पोर्टल के नाम पर किसानों को किसी प्रकार से परेशान न किया जाए, वहीं गुलाबी सुंडी से फसल खराबे का सरकार को मुआवजा देना चाहिए। गुलाबी सुंडी से गेहूं की फसल भी प्रभावित

जिले के गांव खारियां के किसान विनोद ने उसने 15 एकड़ में नरमा की खेती की। जिसमें प्रति एकड़ 15 क्विंटल उत्पादन की उम्मीद थी। लेकिन गुलाबी सुंडी टिंडे चट कर गई। ऐसी स्थिति में चुगाई का काम बेहद मुश्किल बना था। तीन गुना लागत से कुछ नरमा चुगाया, जबकि 5 एकड़ में रोटावेटर चलाना पड़ा। गेहूं की पछेती बिजाई करनी पड़ी। जिसके कारण नरमा के साथ- साथ गेहूं उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।

रिपोर्ट पर मुआवजे का निर्णय लेगी सरकार: डीडीए

पहले रेवेन्यू डिपार्टमेंट फसल खराबे की रिपोर्ट देता था, मगर अब सरकार ने एग्रीकल्चर विभाग की क्रॉप कटिंग आधारित गांव वाइज सूची चंडीगढ़ निदेशालय से मांगी है। उसी से बीमा कंपनी क्लेम और सरकार

मुआवजे का निर्णय लेगी। डॉ. सुखदेव सिंह उप कृषि निदेशक सिरसा।

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