यहां सिमट जाते है किसानो के अरमान, रह जाती है सारी उम्मीदे धराशाही, फिर भी जुड़ना चाहता है मिट्टी से किसान।

यहां सिमट जाते है किसानो के अरमान, रह जाती है सारी उम्मीदे धराशाही, फिर भी जुड़ना चाहता है मिट्टी से किसान।
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यहां सिमट जाते है किसानो के अरमान, रह जाती है सारी उम्मीदे धराशाही, फिर भी जुड़ना चाहता है मिट्टी से किसान।

खेत खजाना: किसान अगली फसल की बुआई को लेकर बहुत बड़े बड़े सपने संजोता है। जैसे ही जमीन की कोख में दाना पड़ना शुरू हो जाता तो किसान तरह तरह के सपने देखने शुरू कर देता है। कि इस बार कंधे का भार कुछ कम हो जायेगा। जैसे जैसे फसल अनुकूरित होना शुरू होती तो फसल देख किसान का चेहरा खिल उठता है और उस फसल से उम्मीद करता है की इस बार मालिक खूब धान देगा, इस बार बहुत अच्छी फसल होगी लेकिन हर बार किसान का सपना टूट जाता है। और उम्मीदें भी धराशाही रह जाती है।

राजस्थान के डिंगबास के किसान सुरजा राम ने जानकारी देते हुए बताया की जब कपास बोने का सीजन आया था उस समय कपास की फसल को लेकर काफी उम्मीदें थी। जैसे ही फसल की बुआई हुई और पौधे जमीन से बाहर निकलने शुरू हुए तो उन्हें बड़ी ख़ुशी हुई कि कपास की फसल शुरुआती दौर में बहुत बढ़िया हुई है। जिससे हमने अनुमान लगाया था की इस बार कपास की फसल प्रति बीघा के हिसाब से 8 से 10 क्विंटल जरूर होगी। फसल को देखकर मन खुश हुआ की इस बार कर्जे का बार कुछ कम होगा और घर का गुजारा भी अच्छे से चल जायेगा। यहीं उम्मींद लेकर फसल को समय समय पर पानी दिया, समय समय पर खाद-स्प्रे का छिड़काव किया हर रोज फसल की देखभाल भी करनी शुरू कर दी थी।

किसान सुरजा राम ने बताया की उन्होंने 1 बीघा में लगभग 10-15 हजार रूपये खर्चा कर दिया और कपास की फसल 6 फिट से अधिक हाइट भी कर गई थी। लेकिन जब अंतिम पड़ाव में जब फसल जब पकने की कगार पर आई तो गुलाबी सुंडी ने उनकी कमर ही तोड़ दी। किसान ने बताया की सुंडी का प्रकोप इतना भयंकर था की प्रति बीघा 8 क्विंटल की बात तो दूर 2 क्विंटल तक ही नहीं हुआ। उन्होंने बताया की किसान दिन प्रतिदिन कर्जदार ही होता जा रहा है। जब किसान सुरजाराम से यह सवाल जाना गया की जब खेती में हर बार नुकसान होता है तो आप खेती करना छोड़ ही क्यों न देते ? उन्होंने जवाब देते हुए कहा की हम देहाती लोग है, पढ़े लिखे भी नहीं है और कोई काम जानते नहीं है। बड़े बुजुर्गो ने खेती करना ही सिखाया था, उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चल रहे है। धान देना ना देना ईश्वर के हाथ में है, इसलिए करेंगे तो खेती ही।

किसान सुरजाराम ने सरकार व प्रशासन से मांग करते हुए कहा की इस बार किसानो की फसल का नुकसान बहुत अधिक हुआ है इसलिए सबसे पहले इस गुलाबी सुंडी रोग का समाधान निकालें और फिर जो किसानो को नुकसान हुआ है उस नुकसान की भरपाई तुरंत प्रभाव से करें।

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