गोरखपुर का ऐतिहासिक फल - पनियाला: खत्म हो रही है इसकी जड़ों की वारसत, लेकिन जीआई टैग से मिली राहत

गोरखपुर का ऐतिहासिक फल - पनियाला: खत्म हो रही है इसकी जड़ों की वारसत, लेकिन जीआई टैग से मिली राहत
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गोरखपुर का ऐतिहासिक फल - पनियाला: खत्म हो रही है इसकी जड़ों की वारसत, लेकिन जीआई टैग से मिली राहत

पनियाला - गोरखपुर का फेमस फल

गोरखपुर उत्तर प्रदेश के एक प्रमुख शहर है जिसे अपनी ऐतिहासिक और कुलीन छवि के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही, गोरखपुर का एक अनूठा और प्रसिद्ध फल है, जिसे पनियाला के नाम से जाना जाता है। यह फल बहुत से लोगों को पसंद आता है और इसकी खास पहचान और स्वाद है। पनियाला एक ऐसा फल है जिसकी खाने में खट्टा मीठा स्वाद होता है और इसका आकार जामुन के फल की तरह होता है। यह कहा जाता है कि गोरखपुर के अलावा पूरे भारत में पनियाला फल केवल यहीं पाया जाता है।

पनियाला को मिला जीआई टैग

गोरखपुर के इस फेमस फल, पनियाले को अब उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जीआई टैग (Geographical Indication Tag) की मान्यता प्राप्त हुई है। इसके माध्यम से, पनियाला को अपनी विशेषता और पहचान की सुरक्षा मिलेगी। जीआई टैग न केवल इस फल को एक वैदिक मान्यता देगा, बल्कि इससे पनियाले के पेड़ों को बचाने के लिए भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकेंगे।

पनियाले के पेड़ों की खत्म हो रही है वारसत

पूरे देश में पनियाला फल बहुत प्रसिद्ध है, और विशेष रूप से गोरखपुर में इसका बहुत बड़ा प्रशंसकों का समूह है। गोरखपुर के लच्छीपुर गांव के आसपास इसके कई बगीचे पहले होते थे, लेकिन शहरीकरण और आबादी वृद्धि के कारण, लोगों को घर बनाने और उपनिवेशों की आवश्यकता हो गई। इससे धीरे-धीरे पनियाले के पेड़ों को काट दिया गया है, और पहले पनियाला के बगीचों की जगह मकानों का शहर बन गया है। यह स्थिति पर्याप्त संख्या में पनियाले के पेड़ों की कमी का कारण बन रही है।

पनियाला - औषधि गुणों की खान

गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉटनी विभाग ने 2011 से 2018 के बीच किए गए शोध के अनुसार पता चला है कि पनियाला फल औषधि गुणों से भरपूर है। इसके पत्तों, छाल, जड़ों, और फलों में बैक्टीरिया के खिलाफ प्रतिरोधी गुण होते हैं। पनियाला फल पेट संबंधी बीमारियों में भी लाभकारी होता है। यहां तक कि आजकल गोरखपुर में पनियाले के पेड़ों की कमी दिखाई दे रही है।

इस प्रकार, पनियाला एक अनूठा फल है जिसकी पहचान, स्वाद, और औषधि गुणों से लोग प्रभावित होते हैं। जीआई टैग की मान्यता से, पनियाले के पेड़ों की वारसत बचेगी और इसकी संरक्षा होगी। इससे यह आशा की जा सकती है कि पनियाला फल की प्राकृतिक प्रगति को बढ़ावा मिलेगा और लोगों को इसके लाभ प्राप्त करने का अवसर मिलेगा।

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