शिमला मिर्च की खेती कैसे की जाती है

शिमला मिर्च को हर वर्ग के लोग बड़े ही सौख से खाते है क्योकि विटामिन से भरपूर होते है और कई प्रकार के पोषक तत्व होते है। इसलिए शिमला मिर्च की बाजार में अधिक माँग होते है एवं कीमत भी अच्छी होती है।

शिमला मिर्च की खेती कैसे की जाती है
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शिमला मिर्च की खेती कैसे की जाती है

आज हम आप लोगो को शिमला मिर्च की खेती करने की पूरी विधि बताने वाले है। बहुत से किसान धान के फसल को छोड़कर सब्जी की खेती करना शुरू कर दिया है। क्योकि सब्जी की खेती में किसी अन्य की तुलना अधिक कमाई होती है लेकिन बहुत से किसानों को शिमला मिर्च की खेती करने का तरीका पता नहीं होता है। लेकिन कई राज्यों के किसानों को शिमला मिर्च की खेती करने का तरीका पता नहीं होता है। शिमला मिर्च की खेती साल में 3 बार की जाती है इसलिए इसकी खेती करके हर साल कई लाख कमा सकते है। तो आइये बिना देरी किये शिमला मिर्च की खेती कब और कैसे करते है इसके बारे में विस्तार से बताते है।

उपयुक्त मिट्टी, जलवायु और तापमान

अच्छी फसल के लिए चिकनी दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है | इसके अलावा इसकी खेती के लिए उचित जल निकासी वाली भूमि का होना भी जरूरी होता है | इसकी खेती में भूमि का P.H. मान 6 के 7 से मध्य होना चाहिए | शिमला मिर्च की फसल के लिए नर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है | इसके पौधे अधिक सर्दी और गर्मी को सहन नहीं कर पाते है |इसकी खेती में तापमान अधिक और कम होने पर पैदावार पर असर पड़ता है | सामान्य तापमान में शिमला मिर्च के पौधे अच्छे से वृद्धि करते है | इसके पौधे अधिकतम 40 डिग्री तथा न्यूनतम 10 डिग्री तापमान को ही सहन का सकते है |

उन्नत किस्में ;

उन्नत किस्में,येलो वन्डर,सोलन हाइब्रिड,पूसा दीप्तिपूसा दीप्ति किस्म के पौधे पौध रोपाई के 70 दिन बाद उत्पादन देना आरम्भ कर देते है | इसका पौधा झाड़ीनुमा होता है, जिसमे आरम्भ में हरे रंग के फल निकलते है, किन्तु पकने के बाद इसके फलो का रंग लाल हो जाता है | यह किस्म प्रति हेक्टेयर में 300 से 350 क्विंटल की उपज देती है |

खेत की तैयारी ;

खेत को तैयार करने के लिए उसके खेत की अच्छी तरह से जुताई कर दी जाती है | इसके बाद खेत की मिट्टी में धूप लगने के लिए कुछ समय के लिए उसे ऐसे ही खुला छोड़ दिया जाता है |

उवर्रक ;

इसके बाद खेत में प्राकृतिक खाद के रूप में 15 से 20 गाड़ी पुरानी गोबर की खाद डालनी होती है | गोबर की खाद डालने के बाद जुताई कर खेत की मिट्टी में खाद को अच्छे से मिला दिया जाता है | यदि आप चाहे तो गोबर की खाद के स्थान पर कम्पोस्ट खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है|

इसके बाद खेत में पानी लगा कर पलेव कर दिया जाता है | पलेव के बाद खेत की आखरी जुताई के समय एन.पी.के. की उचित मात्रा का छिड़काव करना होता है | यदि भूमि में सल्फर की मात्रा कम पाई जाती है, तो खेत में 60 KG सल्फर की मात्रा को प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना होता है | इसके बाद खेत में पाटा लगाकर खेत को समतल कर दिया जाता है, इससे खेत में जलभराव की समस्या नहीं देखने को मिलती है |

सही समय और तरीका ;

रोपाई से पहले बीजो को नर्सरी या खेतो में तैयार कर लेते है | बीजो को तैयार करने से पहले उन्हें बाविस्टिन की उचित मात्रा से उपचारित कर लिया जाता है | इसके अलावा यदि आप चाहे इसके पौधों की रोपाई के लिए पौधों को किसी रजिस्टर्ड नर्सरी से खरीद सकते है प्रत्येक मेड़ के मध्य तीन फ़ीट की दूरी रखी जाती है | पौध रोपाई में प्रत्येक पौध के बीच एक फ़ीट की दूरी रखी जाती है | शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई के लिए जुलाई का महीना उचित माना जाता है | इसके अलावा शिमला मिर्च के पौधों की रोपाई जनवरी और सितम्बर के माह में भी की जाती है | शिमला मिर्च के पौधों की अच्छी देखभाल से 6 महीने तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है |

सिंचाई ;

शिमला की खेती में पौधों की सिंचाई के लिए ड्रिप विधि का इस्तेमाल किया जाता है | इसके पौधों की प्रारंभिक सिंचाई पौध रोपाई के तुरंत बाद कर दी जाती है शिमला मिर्च के पौधों पर रोज20 मिनट तक सिंचाई करनी होती है

रोग एवं उनकी रोकथाम ;

कीटों द्वारा रोग ,पाउडर मिलोडी ,मोजेक रोग | इस रोग से प्रभावित पौधों की पत्तिया सिकुड़कर छोटी होने लगती है, तथा रोग से अधिक बढ़ने पर पत्तिया कठोर होकर गोल आकार ले लेती है, और कुछ समय पश्चात् ही पीली पड़कर नष्ट होने लगती है | इस रोग से बचाव के लिए कार्बोफ्यूरान 3 जी की उचित मात्रा से मिट्टी को उपचारित कर ले | इस रोग के लक्षण अधिक दिखाई देने पर डाइमिथोएट 30 ई सी या इमिडाक्लोप्रिड की उचित मात्रा का छिड़काव पौधों पर करना होता है |

पैदावार और लाभ ;

जब इसके फलो का रंग आकर्षक दिखाई देने लगे उस दौरान इसकी तुड़ाई कर ली जाती है| शिमला मिर्च के एक हेक्टेयर के खेत से 250 से 500 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है | जिससे किसान भाई शिमला मिर्च के एक हेक्टेयर के खेत से पैदावार प्राप्त कर 3 से 5 लाख तक की अच्छी कमाई कर सकते है |

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