जीरा और ईसबगोल की फसलों में कीटनाशकों और रोगनाशकों का सही उपयोग कैसे करें?

जीरा और ईसबगोल की फसलों में कीटनाशकों और रोगनाशकों का सही उपयोग कैसे करें?
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जीरा और ईसबगोल की फसलों में कीटनाशकों और रोगनाशकों का सही उपयोग कैसे करें

खेत खजाना : पश्चिमी विक्षोभ के बाद जीरा और ईसबगोल की फसलों में कीट और रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है। मौसम में हुई मावठ के बाद, नमी की वृद्धि के कारण, इन फसलों में खतरा बना रहता है। इस लेख में, हम जीरा और ईसबगोल की फसलों में होने वाले कुछ मुख्य रोगों और कीटाणुओं के बारे में जानेंगे और उनके नियंत्रण के लिए किसान कैसे उपाय कर सकता है।

जीरा में होने वाले रोग और उनका नियंत्रण:

मोयला रोग: यह रोग पौधों के कोमल भागों से रस चूसकर हानि पहुंचाता है। रोकथाम के लिए, मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी. का 0.2% घोल या मैंकोजेब कार्बेंडाजिम की 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में छिड़काव करें।

छाछ्या रोग: इसके लिए, गन्धक के चूर्ण का 25 किलोग्राम प्रति हैक्टर भूरकाव करें या घुलनशील गन्धक चूर्ण का 2.5 किलोग्राम प्रति हैक्टर का घोल बनाकर छिड़काव करें।

झुलसा (ब्लाइट) रोग: फूल आने के समय इस रोग का प्रकोप होता है। टॉप्सिन एम, मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी., या इमिडोक्लोप्रीड का उपयोग करके नियंत्रण करें।

ईसबगोल में होने वाले रोग और उनका नियंत्रण:

पत्ती धब्बा/अंगमारी रोग: मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी. का 0.2% घोल या रिडोमिल एमजेड 78 का एक किलोग्राम प्रति हैक्टर छिड़काव करें।

मोयला किट: इमिडाक्लोप्रिड या क्लोथियानिडिन का उपयोग करें।

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इस प्रणाली से, किसान अपनी जीरा और ईसबगोल फसलों को सुरक्षित रख सकता है और खाद्य सुरक्षा को बनाए रख सकता है। नमी की वृद्धि के बाद होने वाली बीमारियों और कीटाणुओं के खिलाफ सही उपायों का उपयोग करने से, वह अच्छी खासी पैदावार हासिल कर सकता है।

किसानों के लिए उपयुक्त संपर्क जानकारी:

यदि किसानों को और अधिक मदद चाहिए या उन्हें सीधे सवाल पूाम प्रति लीटर पानी में छिड़काव किया जा सकता है।

छाछ्या रोग: इस रोग के लिए तुलासिता या रिडोमिल एमजेड 78 का छिड़काव किया जा सकता है।

झुलसा (ब्लाइट): इस रोग के खिलाफ बुआई के 30-35 दिन बाद फसल पर डायमिथोएट 30 ईसी या मैलाथियॉन 50 ईसी का छिड़काव किया जा सकता है।

ईसबगोल में होने वाले रोग और उनका नियंत्रण:

पत्ती धब्बा/अंगमारी रोग: मैन्कोजेब 75% डब्ल्यू.पी. का 0.2% घोल या रिडोमिल एमजेड 78 की एक किलोग्राम मात्रा को पानी में घोल कर छिड़काव किया जा सकता है।

मोयला रोग: इमिडाक्लोप्रिड या क्लोथियानिडिन का उपयोग करके मोयला रोग के खिलाफ लड़ा जा सकता है।

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मौसम में बदलाव के बाद झुलसा के उपाय:

जीरे में झुलसा (ब्लाइट) का प्रकोप मौसम में बदलाव होने पर जल्दी होता है। इसके नियंत्रण के लिए, बुआई के 30-35 दिन बाद फसल पर डायमिथोएट 30 ईसी या मैलाथियॉन 50 ईसी का छिड़काव करें।

इन सारे उपायों को आचार्यपूर्वक अनुसरण करने से, किसान अपनी फसलों को कीटनाशकों और रोगनाशकों से सही तरीके से सुरक्षित रख सकता है। अगर आपके पास किसी भी प्रकार का प्रश्न है या आप और जानकारी चाहते हैं, तो कृपया हमसे मोबाइल नंबर 9772357131 पर संपर्क करें।

इस लेख में हमने जीरा और ईसबगोल की फसलों को प्रभावित करने वाले कुछ मुख्य कीटनाशकों और रोगनाशकों के बारे में जानकारी प्रदान की है और किसानों को इनके नियंत्रण के उपायों का सुझाव दिया है। यह सुनिश्चित करने के लिए है कि फसलें स्वस्थ रहें और अच्छी पैदावार हो।

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