अगर अचानक बढ़ती गर्मी से चौपट न हो जाए धान की फसल, एक्सपर्ट ने बताया बचाव का तरीका

धान की फसल को बचाएं तना छेदक रोग से, जानें इन आसान उपायों का प्रयोग

dhaan ki kheti,
X

dhaan ki kheti,

गर्मी के मौसम में धान की फसल को एक बड़ा खतरा है तना छेदक रोग का, जो फसल को बर्बाद कर सकता है। इस रोग के कारण फसल का उत्पादन कम हो जाता है और किसानों को नुकसान होता है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि आप इस रोग से कैसे बच सकते हैं और अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं।

तना छेदक रोग क्या है?

तना छेदक रोग एक प्रकार का कीट है, जो धान के तने को अंदर से खाता है और उसे सूखा देता है। इस कीट का रंग सफेद होता है और इसका चेहरा काला या भूरा होता है। इस कीट का प्रकोप गर्म और आर्द्र जलवायु में अधिक होता है। इस कीट के प्रकोप से फसल के पौधों का तना पीला या लाल हो जाता है और फिर पूरी तरह सूख जाता है। इससे फसल का उत्पादन कम हो जाता है और किसानों को नुकसान होता है।

तना छेदक रोग से बचने के उपाय

इस रोग से बचने के लिए आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

- जुलाई के प्रथम पखवाड़े तक धान की बुआई कर देनी चाहिए।

- बुआई के 15 दिन बाद नर्सरी में एग्रोनिल-जीआर को फिप्रोनिल 0.3% जीआर घटक के साथ 1 किलोग्राम प्रति 100 वर्ग मीटर की दर से रेत में मिलाकर दें। ²

- फसल में नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। फसल में यूरिया खाद के स्थान पर अमोनियम सल्फेट का प्रयोग करें।

- रोपाई से पहले पौधे के ऊपरी हिस्से को काटकर उसकी रोपाई करें।

- वयस्क पतंगों को आकर्षित करने के लिए इस किट के गंध लूप जाल का उपयोग करें। और यदि संभव हो तो लाइट ट्रैप भी लगा सकते हैं।

- रोपाई के बाद, फसल की अवस्था के अनुसार अमेज-एक्स 80 ग्राम या फेम 60 मिली या कोराजन 60 मिली, ताकुमी 100 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।

इन उपायों का पालन करके आप अपनी धान की फसल को तना छेदक रोग से बचा सकते हैं और अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

Tags:
Next Story
Share it