धान रोपाई के बाद पौधों में नहीं हो रहा फुटाव, तो ये तरीके करेंगे काम, रोपाई के 20 दिन बाद करें उपयोग
कम पानी या बारिश की कमी वाले इलाकों में धान की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पाती, जिससे कल्ले भी ठीक तरीके से निकल नहीं पाते। यह सीधे फसल की क्वालिटी पर भी असर डालता है।
धान रोपाई के बाद पौधों में नहीं हो रहा फुटाव, तो ये तरीके करेंगे काम, रोपाई के 20 दिन बाद करें उपयोग
भारत में धान को खरीफ सीजन की प्रमुख नकदी फसल के रूप में जाना जाता है, जिसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। यह मानसून सीजन में धान की रोपाई करके फसलों का अच्छा विकास सुनिश्चित करता है। हालांकि, कम पानी या बारिश की कमी वाले इलाकों में धान की अच्छी ग्रोथ नहीं हो पाती, जिससे कल्ले भी ठीक तरीके से निकल नहीं पाते। यह सीधे फसल की क्वालिटी पर भी असर डालता है।
उपाय धान की बेहतर ग्रोथ के लिए:
सही पोषण: धान के पौधों की रोपाई के बाद 20 से 30 दिनों के अंदर पौधों से कल्ले फूटने लगते हैं। इसके लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार पोषण प्रबंधन करें।
सिंचाई की तकनीकें: सूक्ष्म सिंचाई की तकनीकें फसलों के बेहतर विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। टपक सिंचाई और फब्बारा विधि का उपयोग करें।
निराई-गुड़ाई: कम पानी वाले इलाकों में धान की अच्छी ग्रोथ के लिए निराई-गुड़ाई करें ताकि जड़ों में धूप और ऑक्सीजन का संचार सुनिश्चित हो।
धानजाइम गोल्ड: यह जैविक उत्पाद धान की बेहतर ग्रोथ के लिए मददगार सिद्ध होता है। इसका इस्तेमाल करके फसल की क्वालिटी और प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है।
एरोबिक विधि: कम बारिश वाले इलाकों में एरोबिक विधि से धान की खेती करने से बेहतर उत्पादन हो सकता है।
उपाय लाभ
सही पोषण पौधों की बेहतर ग्रोथ और फसल की बेहतर क्वालिटी
सिंचाई की तकनीकें कम पानी में भी फसल का अच्छा विकास
निराई-गुड़ाई जड़ों में धूप और ऑक्सीजन का संचार सुनिश्चित
धानजाइम गोल्ड बेहतर प्रतिरोधी क्षमता और क्वालिटी
एरोबिक विधि कम बारिश में भी बेहतर उत्पादन
धान की खेती में ये वैज्ञानिक तरीके और उपाय सहायक हो सकते हैं और किसानों को कम पानी में भी बेहतर उत्पादन प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं।