धान की खेती में जिंक पोषकतत्व का महत्व Importance Of Zinc In Rice Farming

Importance Of Zinc In Rice Farming

धान की खेती में जिंक पोषकतत्व का महत्व Importance Of Zinc In Rice Farming
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धान के फसल में जिंक पोषकतत्व की क्यों जरूरत है? Why Zinc Micro Nutrient Is Necessary in Rice Farming?

धान की खेती में 1 टन अनाज पैदा करने के लिए लगभग 30-40 ग्राम जिंक(Zn) पोषकतत्व की आबश्यक्ता होती है।

धान के फसल में अधिक मात्रा में कल्ले फुटाव तथा अछि पैदावार प्राप्त करने के लिए जिंक/जस्ता पोषकतत्व की भूमिका अति महत्वपूर्ण है।

जिंक पोषकतत्व के फायदे (Benefits Of Zinc in Rice Farming)

1. यह पौधे में कार्बोहाइड्रेट प्रस्तुत करने के लिए आवश्यक है।

2. पौधों में जस्ता का कार्य सभी प्रकार के एंजाइम को सक्रिय करने में मदद करता है।

3. यह शर्करा की खपत को नियंत्रित करता है।

4. पौधे के रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है।

* क्षारीय मिट्टी में जिंक पोषकतत्व की कमी दिखाई देता है। धान की खेती करने से पहले किसान भाइयों को मृदा परीक्षण अबश्य कर लेना चाहिए।

जस्ता/जिंक पोषकतत्व का स्रोत (Sources Of Zinc Micro Nutrient Fertilizer)

  • जिंक सल्फेट (ZnSo4)
  • जिंक कार्बोनेट (ZnCo3)
  • जिंक क्लोराइड (ZnCl)
  • जिंक ऑक्साइड (ZnO)
  • चिलेटेड जिंक (Chelated Zinc)

कमी के लक्षण (Zinc Deficiency Symptoms in Rice Farming)

जिंक पोषकतत्व मिट्टी और पौधे के अंदर अर्ध गतिशील है।

1. धान में इसकी कमी नए पत्तियों में सबसे पहले दिखाई देती है।

2. पत्तियों के ऊपरी भागों पर भूरे रंग के धब्बे नज़र आते हैं।

3. पौधे में अपेक्षाकृत कम मात्रा में कल्ले आते हैं।

4. नए पत्तियों का शिरा आधार भूरे रंग के हो जाता है और पत्तियों के निचले भागों पर धब्बा, धारियाँ बन जाती हैं।

5. पौधों की बढ़वार में रुकावट पैदा होती है।

सुधारात्मक उपाय (Treatment of Zinc Deficiency in Rice Farming)

1. खेत तैयारी करते समय 8 से 10 किलोग्राम जिंक उर्बरक प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में मिलाएं। इससे आगे जाकर धान के फसल में जिंक पोषकतत्व की दिखाई नहीं देगी।

2. भूमि प्रस्तुति समय किसी कारणवश जिंक उर्बरक का प्रयोग नहीं किया गया है; तो बिजाई के 15-20 दिन बाद या रोपाई के पश्चात प्रथम चरण (1st DOSE) उर्बरक के साथ इसका प्रयोग कर दीजिए।

* 50 किलोग्राम सढ़े पुराने गोबर या रेत के साथ जिंक का प्रयोग करें। नाइट्रोजन के साथ ना मिलाएं, यह रासायनिक प्रतिक्रिया सृष्टि करता है।

* धान के फसल में जिंक उर्बरक का उपयोग हमेसा कल्ले निकलने के एक से दो सप्ताह पहले किया जाना चाहिए।

3. धान के फसल में जिंक पोषकतत्व की कमी दिखाई देने से तुरंत समाधान के लिए 2 ग्राम जिंक सल्फेट (ZnSo4) प्रति लीटर पानी मे मिलाकर छिड़काव करें।

एक सप्ताह के अंतराल पर फसल में ZnSo4 छिड़काव पुनः दोहराएं जबतक जिंक पोषकतत्व की कमी फसल से दूर हो जाता है।

जिंक विषाक्तता के लक्षण (Zinc Toxicity)

किसी भी पोषकतत्व आबश्यक्ता से अधिक मात्रा में प्रयोग करने पर पौधे में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इसे पोषकतत्व विषाक्तता कहा जाता है।

अतिरिक्त जस्ता पौधों में आयरन क्लोरोसिस पैदा करता है। पौधे के पत्तियां पिला रंग के हो जाते हैं।

* पौधे के नए पत्तियां पिला पैड हान आयरन सूक्ष्म पोषकतत्व कमी का लक्षण है। इसे आयरन क्लोरोसिस कहा जाता है।

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