गन्ने के MSP में बढ़ोतरी, किसानों को मिलेगा जबरदस्त फायदा - Increase in MSP of sugarcane, farmers will get huge benefit

Sugarcane
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गन्ने के MSP

गन्ने के MSP (Minimum Support Price) का मतलब है कि सरकार गन्ने के उत्पादक किसानों को गन्ने के लिए न्यूनतम मूल्य देगी। इससे किसानों को अपनी लागत से अधिक कीमत मिलेगी और उनकी आय में इजाफा होगा। गन्ने के MSP को FRP (Fair and Remunerative Price) भी कहते हैं। FRP वह मूल्य है जो गन्ने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।

गन्ने के MSP का निर्धारण CCEA (Cabinet Committee on Economic Affairs) करती है। CCEA प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में बैठती है और गन्ने के MSP को हर साल बदलती है। गन्ने के MSP को बदलने के लिए CCEA कई चीजों को ध्यान में रखती है जैसे कि गन्ने की लागत, गन्ने का उत्पादन, गन्ने की मांग, गन्ने की आपूर्ति, गन्ने का गुणवत्ता, गन्ने के उपयोग, गन्ने के दामों का प्रभाव, गन्ने के उत्पादकों की आय और गन्ने के उपभोक्ताओं की भलाई।

गन्ने के MSP में 25 रुपये की बढ़ोतरी

सरकार ने हाल ही में गन्ने के MSP में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इससे गन्ने का MSP 315 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। यह बढ़ोतरी 2024-25 के लिए लागू होगी। इस बढ़ोतरी से करोड़ों गन्ने के उत्पादक किसानों को लाभ होगा। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

गन्ने के MSP में इतनी बढ़ोतरी करने का मुख्य कारण है कि गन्ने की लागत में भी वृद्धि हुई है। गन्ने की लागत में वृद्धि होने के कारण हैं कि गन्ने की खेती में जलवायु परिवर्तन, बाढ़, सूखा, बीमारियां, कीटनाशक, उर्वरक, बिजली, श्रम, ट्रांसपोर्टेशन आदि का प्रभाव पड़ता है। इन सबके कारण गन्ने की लागत बढ़ जाती है। इसलिए सरकार ने गन्ने के MSP में बढ़ोतरी करके किसानों को राहत देने का फैसला किया है।

गन्ने के MSP का प्रभाव

गन्ने के MSP में बढ़ोतरी का प्रभाव गन्ने के उत्पादकों, गन्ने के उपभोक्ताओं और गन्ने के उद्योगों पर पड़ेगा। गन्ने के उत्पादकों को इससे फायदा होगा क्योंकि उनको अपने उत्पाद के लिए अधिक कीमत मिलेगी। इससे उनकी आय बढ़ेगी और उनकी जीवन शैली में सुधार होगा। गन्ने के उपभोक्ताओं को इससे नुकसान हो सकता है क्योंकि उनको गन्ने के उत्पाद जैसे चीनी, गुड़, खांडसारी, इथेनॉल आदि के लिए अधिक दाम देने पड़ सकते हैं। इससे उनका खर्च बढ़ सकता है। गन्ने के उद्योगों को इससे उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि उनको गन्ने के लिए अधिक दाम देने पड़ेंगे और उनकी मुनाफे की दर कम हो सकती है। इसके अलावा, उनको भी अपने उत्पादों के दाम में बदलाव करना पड़ सकता है।

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