बीमा कंपनी को ब्याज सहित क्लेम देने का आदेश, 10 हजार रुपये का मुआवजा भी देना होगा

बीमा कंपनी को ब्याज सहित क्लेम देने का आदेश, 10 हजार रुपये का मुआवजा भी देना होगा
X

बीमा कंपनियों के साथ बीमा क्लेम का सिलसिला बहुत सारे लोगों के लिए सिकंदर बन चुका है, और यह सच है कि कई बार यह प्रक्रिया संवादित होती है। इस खबर में, हम आपको बताएंगे कि कैसे एक महिला ने अपने फसल के नुकसान के बाद बीमा कंपनी से क्लेम पाने के लिए कोर्ट में केस दायर किया और कैसे उसे न्यायालय द्वारा बीमा कंपनी के खिलाफ आदेश दिलाने में सफलता मिली।

इस आलेख में हम आपको इस केस की पूरी जानकारी देंगे, जिसमें महिला को 1 लाख 61 हजार 630 रुपये का ब्याज सहित क्लेम देने के आदेश दिए गए हैं, साथ ही उसे 10 हजार रुपए का मुआवजा भी देने का आदेश हुआ है।

क्लेम क्या होता है?

क्लेम एक बीमा पॉलिसी के तहत नुकसान का मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार होता है। जब किसी को बीमा क्लेम करना होता है, तो वह अपने बीमा कंपनी को नुकसान की जानकारी देता है और कंपनी द्वारा नुकसान की जांच की जाती है। जब नुकसान की पुष्टि होती है, तो बीमा कंपनी क्लेम का मुआवजा देती है।

बीमा क्लेम की महत्वपूर्ण जानकारी:

क्लेम क्या होता है: बीमा क्लेम एक व्यक्ति या संगठन द्वारा बीमा कंपनी से नुकसान के मुआवजे के लिए दावा करने की प्रक्रिया होती है। इसका मतलब है कि जब आपके पास एक बीमा पॉलिसी होती है और आपको नुकसान होता है, तो आप अपनी बीमा कंपनी से मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं।

क्लेम कैसे प्रस्तुत करें: क्लेम करने के लिए आपको अपनी बीमा कंपनी को नुकसान की सूचना देनी होती है। यह सूचना आपके नुकसान की पुष्टि करने के लिए महत्वपूर्ण होती है, इसलिए आपको सटीकता से सभी विवरण प्रदान करना होता है।

क्लेम प्रक्रिया: बीमा कंपनी आपके क्लेम को दर्ज करके नुकसान की जांच करती है। यह शामिल करता है कि आपकी पॉलिसी के तहत क्या-क्या शामिल है और क्या नहीं है। इसके बाद, कंपनी नुकसान की मात्रा और मुआवजा की राशि का निर्धारण करती है।

मुआवजा प्राप्त करना: जब कंपनी नुकसान की पुष्टि करती है, तो वह मुआवजा देने के लिए क्लेम करने वाले व्यक्ति को भुगतान करती है। यह भुगतान क्लेम की जांच के परिणाम के आधार पर होता है।

क्लेम की असफलता के मामले: कई बार, बीमा क्लेम की प्रक्रिया में कंपनी द्वारा क्लेम को असफल ठहराया जाता है, और इस पर विवाद होता है। इसके बाद क्लेम करने वाले व्यक्ति को कोर्ट जाने का अधिकार होता है, जैसे कि इस केस में हुआ है।

महिला की कहानी:

इस केस की कहानी अग्रसेन कॉलोनी की महिला मुन्नी देवी की है, जिनका पति मंगतराम है। मुन्नी देवी ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से केसीसी पॉलिसी ले रखी थी और 12 जुलाई 2019 को बैंक ने उनके खाते से 5824 रुपये की राशि फसल बीमा योजना के लिए काट ली।

मुन्नी देवी के पास फसल का नुकसान हुआ, और उन्होंने क्लेम करने के लिए कंपनी के पास आवेदन किया, लेकिन कंपनी ने क्लेम नहीं दिया। उनके खाते से पैसे काटने के बाद भी, मुन्नी देवी को बीमा कंपनी व बैंक द्वारा कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके बाद, उन्होंने अपने वकील विकास ढिल्लो के साथ कोर्ट में केस दायर किया।

कोर्ट के आदेश:

वकील विकास ढिल्लो ने बताया कि केस से जुड़े सभी सबूत व दलीलों को मजबूती से रखा गया, और उन्होंने न्यायालय को यह प्रमाणित करने में मदद की कि मुन्नी देवी को नुकसान हुआ था और कंपनी को क्लेम देने का आदिकार था।

कोर्ट ने फैसला किया कि कंपनी को मुन्नी देवी को 45 दिनों में 1 लाख 61 हजार 630 रुपये ब्याज सहित और 10 हजार रुपए अलग से मुआवजा देने के आदेश देने होंगे।

Tags:
Next Story
Share it